पहला पन्ना
मोदी के खिलाफ कांग्रेस का अभियान
क्या नरेंद्र मोदी वाकई में कांग्रेस के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं? कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता बार-बार यही कह रहे हैं कि नरेंद्र मोदी उनके लिए कोई मसला नहीं है, लेकिन जिस तरह से हर सतह पर खेल के नियम को तोड़ते हुये कांग्रेस की ओर से नरेंद्र मोदी को पटकनी देने की कोशिशें हो रही हैं, उसे देखते हुये कहा जा सकता है कि मोदी के बढ़ते कद से कांग्रेस नेताओं को यह डर सताने लगा है कि कहीं वे तुलनात्मक रूप में बौने न हो जायें। इसका ताजातरीन उदाहरण दिल्ली में दिखने को मिला है, जहां मोदी की बहुप्रचारित रैली के पहले पूरी दिल्ली को ‘फेंकू आया, फेंकू आया’ के नारों वाले पोस्टरों व पंफलेट्स से पाट दिया गया। इन पोस्टरों और पंफलेट्स में मोदी की खिल्ली उड़ाने की पूरी कोशिश की गई। रैली की समाप्ति के बाद ‘फेंकू भागा, फेंकू भागा’ वाले पोस्टर भी खूब दिखाई दिये। मोदी के खिलाफ पोस्टरबाजी आगे भी देखने को मिल सकती है। मतलब साफ है कि कांग्रेस पार्टी मोदी की सभाओं में जुट रही भीड़ से खौफ खा रही है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनने के बाद मोदी भी कांग्रेस पर खुलकर हमला करने लगे हैं। अमूमन अपनी हर सभा में वह कांग्रेस की बखिया उधेड़ते हुये लोगों से उसे सत्ता से बेदखल करने की अपील कर रहे हैं और इसका असर लोगों के ऊपर दिखने लगा है। कहीं भी राजनीतिक बहस हो और नरेंद्र मोदी का नाम न उछले, यह नामुमकिन है। राहुल गांधी की तुलना में प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी को लोग ज्यादा मजबूत उम्मीदवार मान रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस अंदर से घबराई हुई है और इसी घबराहट में वह मुल्क में स्थापित राजनीतिक संस्कृति को ध्वस्त करते हुये मोदी की सभाओं को असफल करने के लिए पोस्टरबाजी करने लगी है।
——————
पीएम को जेटली का खत
वैसे भाजपा के दिग्गज नेताओं को आशंका है कि कांग्रेस इतने पर ही नहीं रुकने वाली है। मोदी के बढ़ते कदम को रोकने के लिए कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सीबीआई का भी इस्तेमाल कर सकती है। मोदी के साथ-साथ 2014 के आम चुनाव की तैयारी के लिए गठित मोदी की टीम के सदस्यों को भी परेशान किया जा सकता है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने इस संबंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक खत लिखकर आगाह किया है कि मोदी और उनकी टीम के लोगों को फंसाने की कोशिश न की जाये। यदि ऐसा होता है तो निस्संदेह देश का माहौल खराब होगा और इसके साथ ही गलत राजनीतिक संस्कृति पनपेगी, जो किसी के हक में नहीं होगी। इस खत में आग कहा गया है कि कांग्रेस राजनीतिक सतह पर मोदी से मुकाबला करने में नाकामयाब साबित हो रही है, इसलिए अब सीबीआई का सहारा ले रही है। बहरहाल इसमें सच्चाई चाहे जो हो लेकिन इससे इतना तो पता चलता है कि भाजपा मोदी को किसी भी तरह के कानूनी दांवपेंच से बचाने के लिए पूरी तरह से अलर्ट है। प्रधामनंत्री को खत लिखकर इस बात का संकेत दिया गया है कि 2014 के आम चुनाव में मोदी को रास्ते से हटाने के लिए यदि कांग्रेस उल्टे-सीधे रास्ते अख्तियार करती है तो उसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जंग का मैदान बना सोशल मीडिया
मोदी समर्थकों और विरोधियों के लिए सोशल मीडिया जंग का मैदान बना हुआ है। मोदी से संबंधित हर छोटी-बड़ी खबरों को त्वरित गति से इस पर प्रसारित किया जाता है और उसके बाद उन खबरों पर टिप्पणियों की बाढ़ सी आ जाती है। सोशल मीडिया पर गहरी नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यहां पर मोदी समर्थक अपने नेता को लेकर कुछ ज्यादा ही आक्रामक दिखते हैं। मोदी की आलोचना सुनने और बर्दाश्त करने के लिए वे कतई तैयार नहीं हैं। मोदी के खिलाफ जरा सी नकारात्मक बात करने पर उस व्यक्ति विशेष पर जबरदस्त हमला शुरू हो जाता है। यहां तक कि अपशब्द भी कहे जाते हैं। इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक तबका मोदी पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से परहेज करने लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही तो लोगों के बीच मोदी को लेकर गलत संदेश जाएगा। मोदी के खिलाफ रैलियों में पोस्टर निकालकर कांग्रेस तो गलती कर ही रही है, सोशल मीडिया पर लोगों को अपशब्द बक कर मोदी समर्थक भी बड़ी गलती कर रहे हैं। अभी मोदी के लिए दिल्ली दूर है और गलत तरीके से पेश आकर मोदी समर्थक इस दूरी में और इजाफा कर देंगे क्योंकि जिस तरह से मोदी के नाम पर लोगों को गालियां दी जा रही हैं, उससे यही संदेश जा रहे हैं कि हिन्दुत्व और संस्कृतिवाद के नाम पर मोदी के इर्दगिर्द लंपटों की फौज इकट्ठी होती जा रही है, जिन्हें तार्किकता से दूर- दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। हिस्ट्रियाई अंदाज में उन्हें सिर्फ मोदी-मोदी चिल्लाना आता है।
मोदी बनाम राहुल!
वैसे अभी कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है लेकिन आम लोगों के जेहन में यही बैठा हुआ है कि फिर से कांग्रेस की जीत के बाद प्रधानमंत्री राहुल गांधी ही बनेंगे। मुल्क की जनता यह देख चुकी है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भारी पड़ रहे हैं। हो सकता है कि कांग्रेस अंत तक प्रधानमंत्री के रूप में राहुल गांधी की घोषणा न करे लेकिन इससे लोगों के ऊपर कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुये कहा जा सकता है कि आगामी आम इंतखाब पूरी तरह से मोदी बनाम राहुल होने जा रहा है। राहुल गांधी का अंदाज बता रहा है कि वह भी खुद को इसी रूप में देखने लगे हैं। जिस तरह से उन्होंने दागी प्रतिनिधियों से संबंधित अध्यादेश की धज्जियां उड़ाकर पूरी सरकार को बैकफुट पर ला दिया, उससे यह स्पष्ट होता है कि राहुल खुद को प्रधानमंत्री पद के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार कर चुके हैं। अब असल मुद्दा लोकसभा चुनाव में फतह हासिल करने का है और यह फतह मोदी की हार पर ही हासिल हो सकती है। ऐसे में कांग्रेस की ओर से मोदी पर चौतरफा हमला स्वाभाविक है। दिल्ली की रैली में पोस्टर हमला इसी का एक हिस्सा है।
नकारात्मक मुद्दों पर जोर
जिस अंदाज में मोदी और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं, उससे पता चलता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में नकारात्मक मुद्दों पर जोर होगा। पूरे मुल्क को लेकर अभी तक एक व्यापक नजरिया मोदी के भाषणों में देखने को नहीं मिला है। सार्वजनिक मंचों पर विभिन्न राष्टÑीय मसलों पर स्पष्ट रुख अपनाने की बजाय वह ज्यादा समय कांग्रेस को ही कोसने में व्यतीत करते हैं। अंतरराष्टÑीय मसलों पर तो वह अमूमन चुप्पी ही साधे रहते हैं। उनके भाषणों में भावनाओं पर जोर होता है, मुल्क की जमीनी हकीकत से संबंधति ठोस बातें वह नहीं करते हैं। कांग्रेस भी अपनी पूरी शक्ति मोदी को फासीवादी हिन्दू साबित करने में ही झोंक रही है। कांग्रेस भी चाह रही है कि कट्टरवादी हिन्दुओं का ध्रुवीकरण मोदी के पक्ष में हो ताकि सेक्यूलर का उसका पत्ता और मजबूत हो।