कला- संस्कृति और युवा विभाग के प्रयास से गुलजार हुआ सोनपुर मेला सांस्कृतिक मंच

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सांस्कृतिक परम्परा का प्रतीक है सोनपुर मेला : दीपक आनंद

सोनपुर ऐतिहासिक सोनपुर मेला देश-विदेश के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है I किसी जमाने में हाथी, गाय बैल, घोड़े और हथियारों की खरीद-बिक्री का एक बड़ा महत्वपूर्ण केंद्र रहने वाला यह मेला अब अपना स्वरूप बदल रहा है और बिहार के सबसे बड़े सांस्कृतिक मेले के रूप में पहचान बना रहा है। कला संस्कृति के अपर सचिव दीपक आनंद मेले को सांस्कृतिक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। एक मुलाकात में दीपक आनंद ने बताया कि इस मेले में अफगानिस्तान, ईरान, इराक सहित अन्य एशियाई मुल्कों से लोग पशुओं की खरीद करने आते थे I मौर्य काल से लेकर अब तक तमाम महत्वपूर्ण शासनकाल में यहां से हाथी, घोड़े और अन्य पशुओं की खरीद होती रही है I अकबर के सेनापति राजा मान सिंह भी मेले में आया करते थे I

अपर सचिव दीपक आनंद ने कहा कि समय के साथ मेले के स्वरूप में काफी बदलाव आया है लेकिन आज भी इसकी सार्थकता बनी हुई है।मेले की सांस्कृतिक विरासत और बहुलता को बनाए रखने में बिहार सरकार का कला संस्कृति एवं युवा विभाग की अग्रणी भूमिका है I 6 नवंबर से 7 दिसम्बर तक एक माह तक चलने वाले इस सोनपुर मेला में कुल 13
दिन सांस्कृतिक महफिल सजाने का जिम्मा कला- संस्कृति विभाग ने उठाया है और इस दौरान स्थानीय कलाकारों से लेकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों को सोनपुर मेला के मंच पर आम दर्शकों-श्रोताओं के लिए उपलब्ध कराने की महत्वपूर्ण कोशिश की है I

इस कड़ी में बिहार के विभिन्न जिलों के साथ-साथ अन्य प्रांतों के भी नामी गिरामी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं I जिन राज्यों के कलाकारों ने अब तक कला संस्कृति विभाग की पहल पर मेले में शिरकत की है, उनमें महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तर प्रदेश के कलाकार भी शामिल हैं I

कला- संस्कृति एवं युवा विभाग के अपर सचिव दीपक आनंद ने बताते हैं कि अब तक इस मंच से पद्मश्री डॉ सुनील जोगी, मशहूर सूफी गायिका महाराष्ट्र ( मुंबई ) की ममता जोशी, प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरी, प्रसिद्ध लोक गायिका कल्पना पटवारी, पद्मश्री मालिनी अवस्थी, इंडियन आईडल फेम मनीषा कर्मकार, बॉलीवुड की चर्चित हस्ती जौली मुखर्जी, माधवी मधुकर झा, मृणालिनी अखौरी, प्रसिद्ध कवि पद्मश्री सुनील जोगी, प्रमोद पंकज, अनिल चौबे, सुदीप भोला, डॉ भुवन मोहिनी, प्रसिद्ध शायर ताहिर फराज, जौहर कानपुरी, सबीना अदीब, ए एम तुराज, सुनील कुमार तंग, इकबाल अशहर, आरिफा शबनम, हिलाल बदायूनी शामिल हैं I स्थानीय कलाकारों में सुश्री देवी, राजू मिश्रा, रेखा झा, पल्लवी विश्वास, प्रिया राज, महेश साह, कुमारी राजश्री, सुदीपा घोष, केसरी रेमो, गोविंद वल्लभ, लावण्या राज, डॉ सारिका, अरुण कुमार, सौरभ सिंह, सुरेंद्र राम, सुभाष प्रसाद साव, परमजीत कुमार, सुरजीत सिंह, अमर कुमार पांडे, ब्रजेश कुमार सुमन ने अपने-अपने फन से लोगों का दिल जीता है I

दीपक आनंद ने बताया कि दिसंबर माह में एक, तीन और 5 तारीख को कला-संस्कृति युवा विभाग के सौजन्य से कुछ और प्रसिद्ध कलाकारों की महफिल सोनपुर मेला के मंच पर सजेगी, इनमें एक दिसंबर को प्रसिद्ध गायिका डॉ नीतू नवगीत, डॉ नवल किशोर शर्मा, रेणु कुमारी और श्वेत प्रीति का लोक गायन होगा I साथ ही सुनील कुमार मिश्रा ( मुंगेर) का सूफी गायन होगा I इसी दिन पटना की ही यामिनी शर्मा कथक नृत्य प्रस्तुत करेंगी I

तीन दिसंबर को प्रसिद्ध लोकगीत गायक सुरेंद्र प्रसाद यादव और डॉ जैनेंद्र दोस्त का लोकगीत गायन, अनामिका का गजल गायन, मोहित मोहित खंडेलवाल का लोक नृत्य और रविंद्र जॉनी, जूनियर देवानंद और जूनियर जॉनी लीवर का लाफ्टर शो भी होगा I

5 दिसंबर को राजस्थान की प्रसिद्ध कलाकार पद्मश्री गुलाबो बाई राजस्थान की लोक कलाओं की प्रस्तुति देंगे,इनमें घूमर, कालबेलिया, चकरी, ब्रज-होरी आदि शामिल है I इसके अतिरिक्त 5 दिसंबर को ही पुणे, महाराष्ट्र की प्रसिद्ध गायक कलाकार नलिनी जोशी सुगम संगीत प्रस्तुत करेंगी और लोकनृत्य शांति कला केंद्र पटना के कलाकार करेंगे I

अपर सचिव दीपक आनंद ने बताया हैं कि सोनपुर मेला बहुरंगी सांस्कृतिक मंच है, जहां देश भर के कलाकार एक मंच से एक माह से अधिक समय तक अपना हुनर लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं I महत्वपूर्ण बात यह है कि मेले में आने वाले लोग ज्यादातर ग्रामीण इलाके के होते हैं I यानी इस मेले के बहाने देशभर के कलाकारों की पैठ बिहार के ग्रामीण इलाकों के घरों में भी इस मंच के माध्यम से हो जाती है I लोक-संस्कृति और आस्था के इस संगम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का कैसी छटा बहुत कम जगह देखने को मिलती है I

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