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श्री रामकृष्ण परमहंस पर संगीत नाटिका तैयार किया पशुपति बनर्जी ने

तेवरआनलाईन, हाजीपुर

श्री रामकृष्ण परमहंसदेव ने भारतीय मानस चेतना को भक्तिमय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनकी संगति में स्वामी विवेकानंद ने ज्ञान और भक्ति का पाठ पढ़कर सारी दुनिया में भारतीय संस्कृति का परचम लहराया। पूर्व मध्य रेल के कल्याण निरीक्षण पशुपतिनाथ बनर्जी ने इन्हीं रामकृष्ण परमहंसदेव की लीला पर आधारित संगीत नाटिका तैयार की है। इस संगीत नाटिका का श्रवण न सिर्फ कर्णप्रिय है बल्कि यह हमें रामकृष्ण परमहंसदेव के जीवन के अनछुए पहलूओं से भी परिचय कराता है । यह कैसेट टी-सीरिज द्वारा जारी किया गया है । जिस किसी ने भी इस संगीत-नाटिका को सुना उन्होंने पशुपतिनाथ बनर्जी के आलेख, भावानुवाद, निर्देशन, संगीत एवं श्री रामकृष्ण संवाद स्वर की तारीफ की है। इस आडियो सीडी में रामकृष्ण परमहंसदेव की जीवन लीला के माधुर्य को प्रभावकारी और मोहक ढंग से प्रस्तुत किया गया है ।

पूर्व मध्य रेल के मुख्य कार्मिक अधिकारी श्री जे.एस.पी.सिंह ने इस आडियो सीडी के निर्माण पर पशुपतिनाथ बैनर्जी को बधाई देते हुये कहा है कि पूर्व मध्य रेल के कर्मचारियों में संगीत एवं कला की प्रतिभा की कोई कमी नहीं है । कुछ रेलकर्मियों ने संगीत के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा से अखिल भारतीय स्तर पर नाम रौषन किया है । समस्तीपुर मंडल में कल्याण निरीक्षक के पद पर कार्यरत पशुपतिनाथ बैनर्जी भी प्रतिभा के धनी है। पशुपतिनाथ बैनर्जी का शुरू से ही संगीत एवं नाटक में गहरी रूचि रही है और अखिल भारतीय स्तर पर अंतर रेलवे संगीत एवं नाटक प्रतियोगिता में इन्होंने अपना कमाल दिखाया है। इस संगीत-नाटिका सीडी में कुल 14 गीत शामिल हैं । पहला गीत जय रामकृष्ण नाम बोलो मन अविराम में रामकृष्ण परमहंसदेव की स्तुति है । जबकि संगीत नाटिका के दूसरे गीत ये कौन आया रे में रामकृष्ण परमहंसदेव के जन्म पर फैली खुशहाली का वर्णन किया गया है । संग्रह में शामिल अन्य गीतों में ‘महामण्डनम् भष्मभूषाधरं, जय षिवषंकर हर त्रिपुरारी, न जाने कब दर्षन दोगी मां, जयतीं मंगला काली, मन मेरे चल दक्षिणेष्वर धाम, ठाकुर भामिनि सारदा आई, मन रे चलो निजधाम, तेजस्तरंति तरसा, तुझसे हमने दिल को लगाया, रामकृष्ण नाम की उठी रे तरंग, करूँ प्रणाम हे रामकृष्ण तथा रामकृष्ण शरणम् प्रभावकारी हैं । संग्रह में प्रत्येक गीत से पहले पशुपतिनाथ बैनर्जी के स्वर में श्रीरामकृष्ण संवाद है, जो इस संग्रह के प्रत्येक गीत को आध्यात्मिक बनाता है ।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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