सम्पादकीय पड़ताल

सोशल मीडिया पर बिहार की राजनीति में जंग

अनिता गौतम,

सोशल मीडिया पर लड़ी जा रही राजनीतिक जंग में पिछले कुछ दिनों में रोचक बातें देखने को मिलीं। मेघना पटेल को न्यूड होकर नरेन्द्र मोदी और भाजपा का प्रचार करते देखा गया तो राष्ट्रीय जनता दल जैसी रुढ़िवादी पार्टी को उसके युवा नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सोशल मीडिया पर नयी अंगड़ाई लेते देखा गया। लेकिन सबसे हैरत अंगेज रहा इस मीडिया जंग में जद यू का यलगार।

जो पार्टी कल तक सोशल मीडिया के महत्व को बार बार नकार रही थी, नए दौर में उसका भी मानसिक उत्परिवर्तन देखने लायक है। फिर जब बिहार ने भी सोशल मीडिया और उसकी ताकत को दिल्ली विधानसभा में अनुभव किया तो इस सोशल मीडिया के सदुपयोग की दौड़ में भला बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी जद यू कैसे पीछे रह सकती थी।

और वैसे भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो शुरुआत से ही इस ग्लोबल ताकत को समझते और समझाते रहै हैं। सोशल मीडिया की पकड़ और इसके प्रभाव को हमेशा जनता के बीच रखते रहे हैं। चुनावी मौसम में इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुये जद यू के इस मीडिया जंग की कमान संभाली है उसके प्रदेश प्रवक्ता नवल शर्मा ने। फेसबुक पर पिछले कुछ दिनों से नवल शर्मा ने जिस अंदाज़ में नीतीश कुमार की मार्केटिंग का कार्य किया है वह वाकई सराहनीय है। पार्टी के एक समर्पित सदस्य की भूमिका बखूबी निभाने की कोशिश की है बिलकुल नए और आकर्षक अंदाज़ में नवल शर्मा ने। जिस चित्रात्मक अंदाज़ में अपनी सरकार की उपलब्धियों को पेश करने का तरीका उन्होंने अपनाया है, वह भीड़ से थोडा हटकर है।

लागातार सोशल साइट्स और विजुअल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर उन्होंने अपने तरीके से जद यू सरकार की उपल्ब्धियों को दर्शाने का प्रयास किया है।

इस बाबत पूछने पर उन्होंने बताया नमो की पूरी कॉर्पोरेट डिजिटल सेना का मैं अपनी पार्टी की ओर से अकेले मुकाबला कर रहा हूँ क्योंकि न तो हमें नेगेटिव राजनीति करने की कोई जरुरत है और न ही जनता के बीच भ्रम फैलाने की। हमारे पास नीतीश जी जैसा विश्वसनीय चेहरा है और हैं असंख्य उपलब्धियाँ। जिनका सही तरीके से प्रचार मात्र ही पर्याप्त है

बहरहाल सकारात्मक राजनीति के पक्षधर नवल शर्मा ने अपनी जिम्मेवारी निभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है। पर यक्ष प्रश्न तो यह है कि क्या बिहार के बनते बिगड़ते समीकरण और जात पात की राजनीति में विकास को आवाम तक पहुंचाने का उनका यह प्रयास वाकई आम जन को समझ आयेगा?

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