“भारतीय तेलचट्टे, जानवर और अशिक्षित हैं”
तेवरआनलान, न्यूजर्सी
अमेरिका के न्यूजर्सी राज्य में यहूदीवादी सरकार द्वारा लगातार भारत और भारतीयों का अपमान किया
जा रहा है, और अमेरिका में रहने वाले यहूदी समर्थक भारतीयों की ओर से इसके खिलाफ न तो न तो कार्रवाई करने और न ही लिखित माफी मांगने की मांग की जा रही है। इसके इतर न्यूजर्सी में रहने वाले भारतीय लाभ और हानि के गणित से संचालित होते हुये वहां के राजनेताओं और अधिकारियों के तलवे चाटने में लगे हैं। पुलिस यूनियन के यहूदीवादी प्रेसीडेंड मिसेल स्चर्वाट्ज के नेतृत्व में एडिसन पुलिस यूनियन ने भारतीयों को तेलचट्टा, जानवर और अशिक्षित कहते हुये वापस जाने की बात कही है। यहूदीवादी दास एशियाई मेयर जून चोई और न्यूजर्सी के यहूदी गर्वनर जान एस क्रोजिने भारतीयों के खिलाफ इस्तेमाल किये जाने वाली इस भाषा का समर्थन करते हुये नजर आ रहे हैं।
यहूदियों की मानसिकता का पता नोवेल पुरस्कार विजेता मेनाचेम बेजिन के कथन से चलता है। उसी के शब्दों में, “हमारी जाति शासक जाति है। हमलोग पृथ्वी पर ईश्वर हैं। हमलोगों के नस्ल की तुलना में दूसरे नस्ल के लोग भुक्खड़ और जानवर हैं। दूसरे नस्ल के लोग मानव मल-मूत्र हैं। निम्नतर नस्लों पर शासन करना ही हमारी नियति है। हमारे सम्राज्य का शासन हमारे नेताओं द्वारा सख्ती से किया जाएगा। आम आबादी हमारे तलवे चाटेगी और दास की तरह हमारी सेवा करेगी।” यहूदीवाद का क्रूरता से प्रतिनिधित्व करने वाले मेनाचेम बेजिन को नोवेल पुरस्कार देना, इस पुरस्कार का अपमान करना है। बहरहाल जिस तरह की गंदी नस्लीय भाषा का इस्तेमाल अमेरिका में भारतीयों के खिलाफ किया जा रहा है, वैसी भाषा का इस्तेमाल अमेरिका के इतिहास में अब तक किसी भी नस्ल के खिलाफ नहीं किया गया है। इस मुद्दे पर खामोश रहने वाले अमेरिकी भारतीयों की एक लंबी सूची है। न्यूजर्सी में रहने वाले किसी भी अमेरिकी भारतीय नेता ने इसके खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है। सभी के सभी दंडवत मुद्रा में है। हिंदी यूएसए सुप्रीमो देवेंद्र सिंह एक कदम आगे बढ़कर घोषणा कर चुके हैं हमलोग मोटी खाल वाले सुअर हैं, जिसका कोई चरित्र नहीं है। यही कारण है कि भारतीयों के साथ यहां पर नस्लीय भेदभाव को लेकर हमारा खून नहीं खौलता है।
स्थानीय अमेरिकी लोगों के बीच में यह कहावत प्रचलित है, “गंदगी के नीचे आप एक डालर रख दिजीये, भारतीय नेता अपने हाथों को साफ रखने के लिए इसे दांत से उठा लेंगे।” यदि कोई भारतीय नेता अपने आत्मसम्मान और मानवाधिकारों के लिए आवाज उठाता है, यहां रहने वाले भारतीय लोग ही पागल कहते हैं। देवेंद्र मक्कड़ इसकी प्रवाह न करते हुये बड़ी मजबूती के साथ अमेरिका में भारतीयों के आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रदर्शनों के साथ-साथ सिटीजन फार डेमोक्रेसी नामक संगठन बनाकर विभिन्न स्तर पर वह आत्मसम्मान की इस लड़ाई को बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं। अपनी बात को सलीके से रखते हुये देवेंद्र मक्कड़ कहते हैं, “आज तक कि ऐसी अभद्र और अमानवीय भाषा का प्रयोग अमेरिका के 200 साल से भी ज्यादा पुराने इतिहास मे किसी भी अन्य अल्पसंख्यक समुदाय नहीं किया गया है।”
अमेरिका में भारतीयों के आत्मसम्मान को लेकर वहां के स्थानीय भारतीय संगठनों ने जो रुख अपना रखा है उसके खिलाफ नाराजगी व्यक्त करते हुये देवेंद्र मक्कड़ कहते हैं, “हिन्दू नेता नारायन कटारिया (हिन्दू इंटलेक्चुअल फोरम जिसका परिवर्तित नाम अमेरिकन इंडियन इंटलेक्चुअल फोरम है) से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि अमेरिका में हम तो सिर्फ यहूदियों के साथ मिलकर मुसलमानों के खिलाफ मोर्चा या प्रदर्शन करते हैं। इस मामले हम आपकी कोई मदद नहीं कर सकते। हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन के सुहाग शुक्ला और इशानी चौधरी को अनगिनित ई-मेल तथा अखबारों की कटिंग और वीडियो रिकोर्डिंग भेजी गई। जैसा कि हिन्दी यूएसए के देवेंद्र सिंह कहते हैं हम सुअर की खाल वाले हैं। यही बात हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने कोई विरोध नहीं करके इशारे में बता दी है। इस फाउंडेशन को यहूदियों का समर्थन तथा धन मिलता है तो ये दास अपने मालिकों के खिलाफ कैसे आवाज उठा सकते हैं ? यदि कोई भारतीय अपने और भारतीय मूल के निवासियों के आत्मसम्मान और मानवाधिकारों के लिए आवाज उठाता है तो यहां जो अपने आप को भारतीयों का नेता और मीडिया कहते हैं उसे पागल तथा सनकी कहा जाता है। इसके अलावा उसके बच्चों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है, यह जानते हुये भी यह बच्चे अमेरिका में पहले बच्चे हैं जो हिंदी, संस्कृत और पंजाबी में देशभक्ति गाने गा सकते हैं उनको किसी भी ऊंचे स्तर के भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जैसे इंडिया डे पैरेड, हिन्दी दिवस या हिन्दू एकता दिवस में शामिल नहीं किया जाता है।”
इस मामले को लेकर देवेंद्र मक्कड़ ने भारतीय नेताओं से भी संपर्क किया ताकि यहां की संसद में अमेरिका में भारतीयों के खिलाफ होने वाले नस्लीय भेदभाव पर आवाज उठे। लेकिन अमेरिका सहित यहां के भी भारतीय नेता इस मामले पर चुप्पी साधे हुये हैं। उन्हीं के शब्दों में, “न्यू यार्क इंडियन कान्सूलेट, इंडियन एंबेसी वाशिंगटन डीसी और उसमें आने वाले कई कैबिनेट स्तर के भारतीय नेताओँ की इस बात से अवगत कराया गया था। ई-मेल के जरिये 100 से ऊपर राज्यसभा और लोकसभा के प्रतिनिधियों को भी विस्तार से इसकी जानकारी दी गई थी। कम से कम 20-25 के साथ कई बार टेलीफोन पर बात की गई और इस मुद्दे को लोकसभा या राज्यसभा में उठाने की प्रार्थना की गई। ऐसा लगता है सभी यहूदियों और इस्रायल डरते हैं। किसी ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। इस मामले को लेकर सभी लोगों ने मौन साध लिया।”
सीएनएन के पोलिटिकल कामेंटर जब जैक कैफर्टी ने जब चीन के मूल के लोगों को गुंडा मवाली कहा तो हजारों चीनी लास एंजेल्स में सीएनएन के दफ्तर के सामने सीएनएन से माफी मांगने की मांगते करते हुये धरना प्रदर्शन पर उतर आये और इस कामेंट्स के खिलाफ सीएनएन पर 1.3 बिलियन डालर का मुकदमा भी ठोक दिया। इसके खिलाफ चीनी मूल के लोगों ने सीनएन के हालीवुड के आफिस के सामने भी प्रदर्शन किया।
Hey mate, greetz from the UK !