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आखिर क्यों भड़के पंकज त्रिपाठी, अब करेंगे केस, जाने क्यों

अमरनाथ, मुंबई।
नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी उस समय अचानक से भड़क गए जब उनकी 10 साल पुरानी फिल्म के पोस्टर को मुंबई में होर्डिंग्स के रूप में लगाया गया। मुंबई में इन दिनों गली चौराहों पर एक फिल्म ‘आजमगढ़’ की बड़ी बड़ी होर्डिंग लगे देखे जा सकते हैं। होर्डिंग में पंकज त्रिपाठी मौलवी के गेट अप में नजर आए हैं। इस फिल्म में ऐसे मौलवी के किरदार में हैं, जो युवाओं को आतंकवाद की राह दिखाता है। पंकज त्रिपाठी को जब इस बारे में पता चला तो वह नाराज हो गए और अब कानूनी कार्रवाई करने के मूड में है।
बता दें कि पंकज त्रिपाठी को इस फिल्म की रिलीज के बारे में पता ही नहीं है। फिल्म के निर्देशक कमलेश कुमार मिश्रा है जो अपनी एक डॉक्यूमेंट्री के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीत चुके हैं। आजमगढ़ का नाम जब सामने आता है तो पूर्वी उत्तर प्रदेश के इस जिले से जुड़े रहे तमाम अराजक तत्वों के नाम दिमाग में घूम जाते हैं। मुंबई में लगी इसी नाम के फिल्म की होर्डिंग पर ही ये लिखा है कि इसे मास्क टीवी के ओटीटी पर रिलीज किया जा रहा है। ओटीटी क्रिएटिव हेड संजय भट्ट से इस बारे में बात की गई तो उनका कहना है कि इस फिल्म के माध्यम से हमने यह दिखाने की कोशिश की है कि आजमगढ़ का रहने वाला हर युवक आतंकवादी नहीं होता है। इस फिल्म को सीरीज और फिल्म दोनों रूप में ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज करने की उनकी योजना है।
संजय भट्ट का दावा है कि ये फिल्म 2019 में बनी है। वहीं, इस फिल्म के बारे में पंकज त्रिपाठी ने कहा कि ‘मुझे बताया गया था क ये शॉर्ट फिल्म है और मैंने इसके लिए सिर्फ तीन दिन ही शूटिंग भी की। लेकिन फिल्म के निर्माता उनके नाम का इस्तेमाल करके फिल्म को ऐसे प्रचारित कर रहे हैं, जैसे फिल्म में मेरी लीड भूमिका हो।’ पंकज त्रिपाठी नहीं चाहते हैं कि फिल्म में उनके नाम को जोड़कर सस्ती लोकप्रियता बटोरी जाए। पंकज त्रिपाठी ने बिना पारिश्रमिक लिए इस फिल्म में काम किया है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे नाम का फायदा उठाकर फिल्म को प्रचारित ना करे, अगर वह नहीं मानेंगे तो इसके खिलाफ वह कानूनी कार्रवाई करेंगे। उनका कहना है कि फिल्म में उनकी छोटी सी भूमिका है और पोस्टर में जिस तरह से उनके चेहरे को प्रमुखता से दिखाया जा रहा है, वह गलत है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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