उत्तर प्रदेश दूरदर्शन पर नया धारावाहिक जज्बात

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Raju Vohra, New delhi.
निजी प्राइवेट चैनल्स के इस दौर में भी दूरदर्शन के धारावाहिकों का महत्तव कम नहीं हुआ है इसकी एक मुख्य वजह यह है कि आज भी डीडी सोशल पारिवारिकए सामाजिक और शिक्षाप्रद मनोरंजक धारावाहिकों का प्रसारण कर रहा है जिनमे दर्शको को साफ.सुथरे मनोरंजन के साथ.साथ भारतीय संस्कृति और सभ्यता की झलक भी देखने को मिलती है जो टीआरपी की रेस में भाग रहे निजी प्राइवेट चैनल्स के धारावाहिकों में काम ही देखने को मिलती है। यही करन है कि आज भी डीडी के नेशनल और रीजनल चैनल्स में प्रसारित होने वाले अधिकाश धारावाहिकों को दर्शको का अच्छा प्रतिसाद मिलता है। ऐसा ही एक साफ सुथरा पारिवारिक और सामाजिक मेगा स्टार कास्ट वाला एक नया धारावाहिक है श्जज्बातश् जिसका प्रसारण दूरदर्शन के डीडी लखनऊ पर उत्तर प्रदेश के दर्शको के लिए हर वीरवार शाम ५ण्३० बजे शुरू हुआ है।
यह धारावाहिक बनते.बिगड़ते पारिवारिक रिश्तो पर आधारित एक मनोरंजन प्रधान सामाजिक धारावाहिक है जिसका निर्माण श्अरमान्स इवेंट एंड एंटरटेनमेंटश् के बैनर तले किया जा रहा है। इसके निर्माता.निर्देशक फिरोज अरमान खान है जबकि इसके कड़ी निर्देशक चंदरसेन सिंह है। धारावाहिक श्जज्बातश् में एक दो नहीं बल्कि करीब डेढ़ दर्जन फिल्म व टेलीविजन के लोकप्रिय कलाकार काम कर रहे है जिनमे विकास आनंद मुस्ताक खान रजनी चन्द्रा शशि शर्मा रोहिताश गौर सीमा पाण्डेय अमान अली खान सोनाली गोस्वामी संजय स्वराज भूमिका सैठ गुलशन राना और साहिबा जैसे अनेक चर्चित कलाकार इसकी कास्ट में शामिल है।
अपने इस धारावाहिक जज्बातश् के बारे में इसके निर्माता.निर्देशक फिरोज अरमान खान का कहना है कि जज्बात बनते.बिगड़ते पारिवारिक रिश्तो पर आधारित एक साफ.सुथरा मनोरंजन प्रधान सामाजिक धारावाहिक है जिसमें मानवीय पहलुओ और जीवन की सच्चाइयो को बहुत ही मार्मिक ढ़ंग से प्रस्तुत किया गया है। निर्माता.निर्देशक फिरोज अरमान खान के अनुसार इस धारावाहिक को उत्तर प्रदेश के दर्शको के साथ.साथ पूरे देश के दर्शक नेशनल लेवल पर डीडी डारेक्ट एदिश टीवी और डी टी एच कर भी देख सकते है। इस धारावाहिक से पूर्व फिरोज अरमान खान दूरदर्शन के लिए इश्क में लुट गये यारश् जैसे आधा दर्जन कॉमेडी व सामाजिक धारावाहिकों का निर्माण कर चुके है।
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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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