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ढपोल शंख हैं नमो और सुमो : संजय सिंह

तेवरऑनलाईन, पटना

जेडीयू के प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि एक लोक कथा है कि एक ब्राह्मण को शंख मिला , शंख ऐसा की जो उससे कुछ मांगता तो उसे वो दुगना करके देने की बात कहता था और जब उससे उतना ही कोई कुछ मांगता था तो और दुगना देने की बात कहता था लेकिन अंत में सिर्फ बोलता ही था कुछ देता नही था । उस शंख का नाम था ‘ढपोल शंख’ । ढपोल शंख जैसी हालत केंद्र सरकार की हो गई है खास तौर पर उसके सहारे बिहार में अपनी राजनीत को चमकाने वाले  नमो के शागिर्द सुशील मोदी ढपोल शंख बजाते चल रहे है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये कहते चल रहे है कि विकास पर कोई राजनीति नही होना चाहीए, लेकिन ये सिर्फ बोलने और सुनाने के लिए है। नरेंद्र मोदी यदि विकास की राजनीत करते तो बिहार के साथ ये अन्याय नही करते, बिहार विकास की रफ्तार में सबसे आगे चल रहा था और इसे विशेष राज्य का दर्जा मिल गया होता तो विकास के नये मुकाम को हासिल कर लेता, लेकिन नमो की राजनीत ने बिहार के विकास के साथ धोखा किया है। कभी भी विकास की रफ्तार को चुनाव और जनादेश से तौल कर नही देखना चाहिए लेकिन अंहकार में डुबे ये बीजेपी के नेता इसे चुनाव के बाद दिलाने की बात करते है तो क्या ये नही माना जाए कि बीजेपी विकास पर राजनीत नही करती? यदि केंद्र सरकार में हिम्मत है तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे, नही तो कथनी और करनी अंतर ऱखने वाली सरकार को जनता आखिरकार सबक सिखाएगी ही। श्री सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार जेडीयू के सबसे बडे नेता है और राज्य में जेडीयू की सरकार चल रही है तो क्या नीतीश कुमार ही अपनी सरकार की तारीफ करते रहे। वर्तमान जेडीयू सरकार की तारीफ तो हर लोग कर रहे है नीतीश कुमार बीजेपी के नेताओं की तरह नही है जो खुद मियां मिठ्ठु बने । कलाकार अपनी रचना की तारीफ खुद नही करता है। न्याय के साथ सरकार चलाना किसे कहते है ये बीजेपी वाले जेडीयू सरकार से सिखे। नीतीश कुमार ने अपने शासन काल में जो बिहार सरकार में कृतिमान स्थापित किया था जो न्याय के विकास और सरकार चलाया था आज उसकी प्रतिमुर्ति मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी में साफ दिखती है। सुशील मोदी राजनीति की अलग परिभाषा गढने में लगे है। राजनीति तो जनता और राज्य के विकास के लिए की जाती है लेकिन इनके शब्दकोश में विकास और नैतिकता का नाम तो है ही नही ।

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