मशहूर धारावाहिक लेखक पारस जायसवाल को’’सरस्वती कला रत्न अवॉर्ड’’

आर.बी.कम्युनिकेशन

भारतीय टेलीविजन के दर्शको के लिए धारावाहिक लेखक पारस जायसवाल का नाम किसी खास परिचय का मोहताज नही है। वह बतौर धारावाहिक लेखक पिछले बीस वर्षो से भी अधिक समय से छोटे पर्दे के धारावाहिको और बड़े पर्दे की फीचर फिल्मो के लेखन मे लगातार सक्रिय है और दूरदर्शन के नेशनल चैनल डीडी वन से लेकर लगभग सभी प्राइवेट चैनल्स तक के दर्जनों लोकप्रिय धारावाहिकों का सफल लेखन कर चुके है। पारस जायसवाल बॉलीवुड के उन गिने चुने भाग्यशाली सीरियल राईटरो में से एक है जिन्हे भारतीय टेलीविजन के कई नामचीन व बेहद पॉपुलर सीरियलो को लिखने का का अवसर मिला है जिनमे मंगलसूत्र, शमा, मुआवजा, ऐ दिल-ए-नादान, नर्गिस, कसक, कश्मकश, कुल की ज्योती कन्या, इम्तिहान, एहसास-कहानी एक घर की, हम तुमको ना भूल पायेंगे, सपने साजन के, अर्धांगिनी, सुराग, सबूत, डिटेक्टिव करन, राज द थ्रीलर, वो कौन, मुज़रिम कौन, ख़ौफ़ “उम्मीद नई सुबह की“ जैसे  नामी-गिरामी चर्चित धारावाहिकों उनके खाते में मुख्य रूप से शामिल है जिन्हे दर्शको ने काफी सराहा भी।
इस समय भी पारस जायसवाल दूरदर्शन प्राइम टाइम के तीन चर्चित नए डेली शो ”जि़न्दगी एक भँवर“ ”दर्द का रिश्ता“ ”बेटी का फर्ज़“ और एक डीडी किसान के डेली शो “गौरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा“ लिख रहे है। धारावाहिको के साथ-साथ उन्होंने बताया कि उनकी तीन फि़ल्में फ्लोर पर हैं “लव की ऐसी की तैसी“, “इश्क़ सूफि़याना“, “वकीलों की दुकान“। कुछ और भी फि़ल्मों पर वो काम भी कर रहे हैं, जो आने वाले समय में सामने आयेंगे।
छोटे और बड़े पर्दे के दर्शको के लिए जागरूक करने वाले धारावाहिको और फिल्मो के सशक्त लेखन कार्य के लिए हाल ही में’’सरस्वती कला रत्न“अवॉर्ड 2015 से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें हाल ही में डॉ० हरिवंश राय बच्चन की स्मृति में ’अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच’ द्वारा आयोजित 25 वे वार्षिक राष्ट्रीय महोत्सव में नयी दिल्ली के ’मुक्तधारा’ ऑडिटोरियम में पूर्व केंद्रीय मंत्री एव पूर्व राज्यपाल श्री डॉ० भीष्म नारायण सिंह के हाथो दिया गया।
इस अवसर पर उपस्थित ’अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लक्ष्मन सिंह एव राजनेतिक,साहितिक, सामाजिक और बॉलीवुड हस्तियों ने मशहूर लेखक पारस जायसवाल के जागरूक करने वाले धारावाहिको और कार्यक्रमो की न सिर्फ सराहना की बल्कि उन्हें सम्मान मिलने के लिए बधाई भी दी।
उसी अवसर पर हमारी मुलाक़ात पारस जायसवाल से हुई  हमने उनसे पूछा कि उनकी षोहरत का राज़ क्या है ? तो पारस जायसवाल का कहना था कि फि़ल्म इण्डस्ट्री में प्रतिभा के आधार पर ही पहचान और सम्मान मिलता है। आगे उन्होंने कहा कहानी का विशय चाहे जो भी हो वह उसकी ग़हराई में उतर कर उसे लिखते हैं और यही उनके सफलता की सीढ़ी है  जिस पर वो निरन्तर आगे बढ़ रहे हैं।

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