तकनीकी छात्रों की अनदेखी कर रही बिहार सरकार : सुष्मिता कुमारी
पटना, 4 अक्टूबर (पटना ब्यूरो)। बिहार के इंजीनियरिंग छात्रों के बीच लगातार बढ़ती बेरोजगारी को लेकर रविवार को तकनीकी छात्र संगठन सरकार पर उनकी अनदेखी का आरोप लगाया। तकनीकी छात्र संगठन की बिहार प्रदेश अध्यक्ष सुष्मिता कुमारी ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि बिहार राज्य से प्रत्येक वर्ष 50 हजार से अधिक छात्र बी. टेक ,एम. टेक, मेडिकल की डिग्री प्राप्त करते हैं। लेकिन इनके लिए बिहार में रोजगार जीरो प्रतिशत है।
सुष्मिता कुमारी ने तकनीकी छात्र संगठन की प्रमुख मांगों को भी रखा, जिसमें राज्य के सभी विभागों में सभी ब्रांच के सभी रिक्त सहायक अभियंता के पदों का विज्ञापन जल्द प्रकाशित कर स्थायी बहाली, प्रति वर्ष अभियंता की बहाली, राजस्व विभाग के सभी पदों पर बी. टेक. डिग्री घारकों को शामिल करने, बंदोबस्त पदाधिकारी की बहाली में 2 वर्षों के अनुभव की समाप्ति, बिहार के सभी विभागों में कनीय अभियंता के पदों पर बी. टेक. डिग्रीधारकों को शामिल करने और बिहार के सभी विभाग में सहायक अभियंता की बहाली में गेट की अनिवार्यता खत्म करने की मांग प्रमुख है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा बिहार राज्य के सभी बहाली में बिहार के मूल निवासी को दूसरे राज्यो की तरह 90 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान, शिक्षक बहाली के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक में विज्ञान विषय के लिए बी. टेक. को मौका, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम के द्वारा बिहार सरकार के विभिन्न सरकारी विभागों और उपक्रमों से प्रशिक्षित, युवाओं की बहाली, राज्य के सभी अभियंत्रण महाविद्यालय में स्थायी शिक्षक एवं प्राचार्य नियुक्ति, राज्य के सभी अभियंत्रण महाविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैब,पाठ्यक्रम के अनुरूप पुस्तकालय में पुस्तक तथा ई-लाइब्रेरी और सभी छात्र-छात्राओ के लिए छात्रावास की व्यवस्था की जाय।
सुष्मिता कुमारी ने फार्मेसी और फार्मासिस्टों की समस्या की समस्या को भी उठाया और कहा कि बिहार के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में फार्मासिस्टों की 2049 पद है, जिसमें से 1766 खाली है।
प्रदेश सचिव आर्जेश श्रीवास्तव ने मेडिकल के छात्रों पर भी अपने बातो को रखते हुये कहा की बिहार में लगभग 17000 लोगो पर एक डॉक्टर है जो काफी कम है,मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति, संसाधनों की कमी मेडिकल कॉलेजो मे फरमासिस्टों की 2049 पदो मे 1766 खाली है जबकि युवा डिग्री लेकर भटकने को मजबूर है।