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तीन दिवसीय राष्ट्रीय टाइपोडॉन्ट कार्यशाला में दूसरे दिन हुई ऑर्थोडोंटिक्स की विशेषता और नई तकनीक पर चर्चा

पटना : इंडियन ऑर्थोडॉन्टिक सोसाइटी के द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय टाइपोडॉन्ट कार्यशाला के दूसरे दिन बुद्धा इंस्टिट्यूट ऑफ डेंटल साइंस का ऑर्थोडॉन्टिक्स विभाग, पटना में ऑर्थोडोंटिक्स की विशेषता और नई तकनीक के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी. इस मौके पर दिन का पहला व्याख्यान भारतीय ओर्थोडॉटिक सोसाइटी के सचिव डॉ श्रीदेवी पद्मनाभन द्वारा किया गया. उन्होंने ऑर्थोडोंटिक्स की विशेषता में आने वाली कुछ नई तकनीकों के बारे में बातचीत की. उन्होंने कहा कि वे वास्तव में इस कार्यशाला के सत्र का आनंद ले रहे हैं. उन्होंने टीम “ऑर्थोमंत्र” को बधाई दी.
इससे पहले टाइपोडॉन्ट कार्यशाला के दूसरे दिन की शुरुआत पहले दिन की तरह ही जोश और उत्साह के साथ हुई. जहाँ डॉ. जयेश रहलकर का शानदार व्याख्यान हुआ. उन्होंने बताया कि हालांकि नई तकनीकें आती रहती हैं, लेकिन उत्पत्ति और विकास को जानने से विशेष पेशेवरों के बीच हमेशा अंतर करने में मदद मिलती है.
कार्यशाला छात्र प्रतिनिधियों के बीच प्रदर्शन के साथ जारी रहा. दोपहर के सत्र में डॉ. संजय लाभ वक्ता के रूप में थे, जिन्होंने अदृश्य कोष्ठक के बारे में परिचय दिया. उन्होंने लिंगुवल तकनीक के बारे में बताया. यह युवा प्रतिनिधियों को सीखने का अच्छा अनुभव था. आज के सत्र में आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ.अमेश क्र.गोलवाड़ के मार्गदर्शन में और अन्य संकाय सदस्यों के साथ आयोजन सचिव डॉ. नील बी.केडिया भी मौजूद रहे. ऑर्थोडॉन्टिक्स विभाग के डॉ.के.एच.सुधीर,डॉ.एस.झा,डॉ.राशी चौहान,डॉ.अंजलि कौल, डॉ. रिचाश्री, डॉ. पल्लवी और डॉ. मेजर अमित ने भी देश के विभिन्न भागों से आने वाले स्नातकोत्तर छात्र प्रतिनिधियों के बीच प्रभावी शिक्षण सत्र में भाग लिया. वहीं, आज प्रतिभागियों के लिए कार्यशाला के साथ चल रहे प्रश्नोत्तरी सत्र के परिणाम घोषित किए गए. इस परिणामों ने उस रुचि को दर्शाया जो इस कार्यशाला ने सभी छात्र प्रतिभागियों के बीच पैदा की है.

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