हार्ड हिट

न्यूजर्सी में न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़नी होगी डा. दिवयेंदू सिन्हा के परिवार को

तेवरआनलाईन, न्यूजर्सी

डा. दिवयेंदू सिन्हा के परिवार को बुरी तरह से परेशान करने के बाद काउंटी प्रोसक्युटर कापलान को डा. सिन्हा की हत्या में संलग्न पांच लोगों स्टीवेन कांट्रेरस, जूलियन डिले, क्रिस्टोफर कानवे, टिनली और कैश जान्सन के खिलाफ बालिग व्यक्ति के तौर पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया गया है। पिछले दो महीने से इस मामले को लेकर न्यूजर्सी में अच्छा खासा हंगामा मचा हुआ है। नस्लीय भावना से ओतप्रोत आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुया स्थानीय प्रशासन जानबूझ कर दोषियों को छोड़ने की मंशा से उन्हें नाबालिग मानकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के मूड में था ताकि उनके बच निकलने का रास्ता साफ हो जाये।

दोषियों के बारे में कहा जा रहा है कि वे स्कूली बच्चे हैं, अत: उन पर नाबालिग के तौर पर ही मुकदमा चलाया जाना चाहिए, जबकि डा. सिन्हा से जुड़े हुये लोग यह मांग कर रहे थे कि दोषियों को बच्चा नहीं माना जा सकता है। इन लोगों ने नस्लीय भावना से प्रभावित होकर सोची समझी रणनीति के तहत डा. सिन्हा की हत्या की है, इसलिये इन्हें बालिग माना जाये और इसी के आधार पर मुकदमा चलाया जाये। इसके इतर अपने व्यक्तिगत लाभों से संचालित होने वाले भारतीय नेताओं का समूह भी वहां के प्रशासन का ही साथ दे रहा था। कापलान ने जानबूझ कर दोषियों के खिलाफ बालिग के रूप में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति लेने में देरी की है। अब सिर्फ वही इस बात का जवाब दे सकते हैं कि ऐसा उन्होंने क्यों किया?      

(डा. दिवयेंदू सिन्हा मर्डर केस के पांच आरोपी बाएं से स्टीवेन

कांट्रेरस, जूलियन डिले, क्रिस्टोफर कानवे, टिनली और कैश जान्सन)

शायद उनकी मंशा 25 सितंबर को ओल्ड ब्रिज में डा. सिन्हा के लिए न्याय की मांग का तमाशा करने वाले एक कार्यक्रम में संभावित विरोध को टालना है। इस कार्यक्रम के प्रायोजक सरकार में बैठे हुये लोग हैं, जो नहीं चाहते कि डा. सिन्हा की हत्या को लेकर सही तरीके से न्याय हो। इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले भारतीय मूल के  लोग न्यूजर्सी के स्थानीय नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ अपनी तस्वीरें खींचवाने के लिए अक्सर तत्पर रहते हैं। डा. सिन्हा के लिए न्याय की मांग की नौटंकी करने वाले भारतीय नेताओं से पूछा जाना चाहिये कि अटार्नी जनरल के भेदभाव अपराध शाखा द्वारा इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग वे लोग क्यों नहीं कर रहे हैं, जबकि कापलान के भारतीय विरोधी नस्लीय रवैया से वे लोग अच्छी तरह से वाकिफ हैं? गर्वनर क्रिस्ट और अटार्नी जनरल डो भी डा. सिन्हा की हत्या के मामले की जांच स्वतंत्र रूप से कराये जाने को लेकर टालमटोल करते रहे हैं।     

डाक्टर दिवयेंदू सिन्हा को उनके शहर के ही कुछ लड़कों ने उनकी पत्नी और दो बच्चों के सामने  उनकी निर्मता से पीटाई की थी। बाद में अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया था

 ऐसी स्थिति में डा. सिन्हा के परिवार को न्याय मिल पाना काफी मुश्किल दिख रहा है, क्योंकि जांच के दायरे में स्थानीय प्रशासन भी आता है। कम उम्र के बच्चों द्वारा दिन प्रति दिन नस्लीय आधार पर भारतीय मूल के लोगों के साथ गाली-गलौच और मारपीट की शिकायतें लगातार आ रही थी, लेकिन इन शिकायतों पर कार्रवाई करने के बजाय स्थानीय प्रशासन हाथ पर हाथ धर कर बैठा रहा और अंतत: इन बच्चों ने डा. सिन्हा को उनके परिवार के सामने ही पीट-पीट कर मार डाला। यदि उन्हें स्थानीय प्रशासन द्वारा पहले ही रोक दिया जाता तो संभवत: डाक्टर सिन्हा की जान बच जाती।

इस संबध में न्यूजर्सी में रहने वाले भारतीय मूल के निवासी देव मक्कड़ ने अपना रोष व्यक्त करते हुये कहा, 104 पुलिस अधिकारी, पुलिस चीफ, स्कूल सुपरीटेंडेंट, ओल्ड ब्रिज का मेयर और काउंसिल व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से डा. सिन्हा की निर्मम हत्या के लिए जिम्मेदार हैं, जो पूरी तरह से नस्लीय भावना से प्रेरित होकर की गई है। न्यूजर्सी दुनिया का सबसे भ्रष्ट और नस्लीय राज्य है, जिसका संचालन संगठित गैंगेस्टर्स के तौर पर रिपब्लिकन्स, डेमोक्रेट्स, ब्यूरोक्रेट्स, ला इनफोर्समेंट्स और ज्यूडिसियरी कर रही है। ये सभी लोग एक दूसरे को बचाने में व्यस्त हैं, और राजनीतिज्ञों और अधिकारियों के खिलाफ वहां के निवासियों के सही शिकायतों की अनदेखी करते हैं। डा. सिन्हा के परिवार के लिए यह तो लंबे युद्ध की सिर्फ शुरुआत है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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