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पंकज त्रिपाठी ने किया इफ्फी गोवा के फिल्म बाजार में बिहार पवेलियन का उदघाटन 

अनुराग ठाकुर, माननीय केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री, युवा मामलों और खेल मंत्री, ने आज गोवा में आयोजित 20 सेv  28 नवम्बर तक चलने वाले 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत उदघाटन किया l उसके बाद फिल्म महोत्सव का अवलोकन करते हुए  राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम द्वारा आयोजित फिल्म बाजार में बिहार पवेलियन पहुंचे और देखकर प्रसन्नता व्यक्त कीl

इस अवसर पर बिहार पवेलियन में उपास्थित बंदना प्रेयषी ,आईएएस, सचिव, कला, संस्कृति और युवा विभाग, बिहार सरकार ने  गुलदस्ता देकर माननीय मंत्री अनुराग ठाकुर का स्वागत किया l

इसके बाद फिल्म उद्योग के जाने-माने कलाकार पंकज त्रिपाठी ने इस महोत्सव में  राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम द्वारा आयोजित फिल्म बाजार में बिहार पवेलियन का फीता काटकर उद्घाटन करते हुए प्रसन्नता जाहिर की और अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा ‘अनछुए रमणीक स्थानों और फिल्म निर्माण की अपार संभावनाओं वाले बिहार को पहले ही फिल्म बाजार में शामिल होना चाहिए था’ l
श्रीमती बंदना प्रेयषी, आईएएस, सचिव, कला, संस्कृति और युवा विभाग, बिहार सरकार ने इस अवसर पर पंकज त्रिपाठी को गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया ।

बिहार पवेलियन की गैलरी के माध्यम से  पंकज त्रिपाठी को बंदना प्रेयषी ने राज्य की अपार फिल्म निर्माण क्षमता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बिहार सरकार द्वारा हाल ही में की गई पहल, बेहतर सुरक्षा परिदृश्य, तेजी से कनेक्टिविटी के बारे में भी बताया, जिससे बिहार में फिल्म उद्योग आकर्षित हो। उन्होंने रचनात्मकता को राज्य में बढ़ावा देने के लिए आवश्यक समर्थन का आश्वासन दिया और आगामी बिहार फिल्म नीति पर विचार-विमर्श के लिए पंकज त्रिपाठी को अपनी अगली बिहार यात्रा के दौरान पटना आमंत्रित किया। पैविलियन में प्रदर्शित बिहार के स्थानीय ग्राफिक्स को देख कर श्री त्रिपाठी बिहार के अपने पुराने दिनों को याद करते हुए भावुक हो गए।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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