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महिलाओं को जागरूक करना निहायत जरुरी- भानुमति

लालमोहन महाराज, मुंगेर
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर एसपीडब्ल्यू इंडिया प्रोजेक्ट ट्रस्ट रिस्टलेस डेवलपमेंट ने ग्राम पंचायत बरियापुर दक्षिणी के ग्राम मिर्जा चक में महिलाओं के अधिकार के प्रति जागरूकता को लेकर कार्यक्रम आयोजन किया l
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एसपीडब्ल्यू इंडिया प्रोजेक्ट ट्रस्ट के प्रोग्रामर ऑफिसर बूसरा खान एवं मुखिया भानुमति उपस्थित थी। lजबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में सेवा भारत की रंजू प्रकाश एवं प्रिया पुरोहित उपस्थित थीl कार्यक्रम का संचालन सुमित कुमार सिंह ने कियाl
मुख्य अतिथि बुशरा खान एवं मुखिया भानुमति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के तौर पर उत्सव के रूप में मनाया जाता हैl
समाजसेवी विनय कुमार गुड्डू ने कहा कि महिला दिवस के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को उनके जीवन को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल रूप से तैयार करना, जिसके लिए कौशल विकास की क्षमता का विकास किया जाना एवं लड़कियों की शिक्षा के प्रति जागरूक करना मुख्य हैl
इस अवसर पर मीना मंच की छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक के तहत शिक्षा पर प्रकाश डालाl तथा महिलाओं के साथ खेल प्रतियोगिता का भी प्रदर्शन किया गया तथा महिलाओं को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गयाl
इस अवसर पर वार्ड सदस्य गंगा कुमार ,पंच नरेश मंडल, राज आर्यन, अर्श आलम ,आयुषी भारती, नेहा कुमारी, प्रधानाध्यापक अनिल मंडल ,चंदन कुमार ,सेविका कुमकुम कुमारी, इंदिरा देवी, अंजू देवी ,सुनैना देवी ,सीमा देवी ,लक्ष्मी देवी ,मनाली कुमारी ,मुस्कान कुमारी ,शैलेंद्र कुमार ,मुन्ना मंडल ,मुकेश मंडल ,जयकरण मंडल ,अमन कुमार मंडल ,भोला मंडल ,लाल मुनी मंडल, अवधेश मंडल ,विद्या मंडल, प्रणव कुमार ,रामवृक्ष यादव, बुधन शाह ,लक्ष्मी देवी सहित अन्य थे।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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