लिटरेचर लव
याद आती है…(कविता)
याद आती है वो धधकती हुई
आखो की जवाला
अग्नि पथ पे बिखरे हुआ अंगारे
याद है वो जलना जलाना
खोयी हुई धुंध भरी शामो को
छुप छुप के रोना रुलाना
दूर दूर सैर को निकले दो कदम
कदमो का आहट
शांत नदी का किनारा
रौद्र समुन्द्र का गर्जन
उद्वेलित समुन्द्र की लहरे
फटती हुई छाती
पिघला हुआ दर्द
सारे बंधनों से मुक्त हो जाओ
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