राहुल तेरा मीडिया दीवाना, हाय राम तुझे देखे है जमाना !
पांच महीने पहले डिंपी ने राहुल महाजन के साथ धूमधाम से शादी की थी। टीवी वालों की मेहरबानी से राहुल को एक आर्दश दुल्हे के रूप में प्रस्तुत किया गया था, और इसको प्रसारित करने वाले टीवी चैनल ने अच्छा खासा माल भी बनाया था। इस प्रोग्राम में भाग लेने वाली लड़कियों ने उस वक्त कहा भी था कि वे सिर्फ पैसे और नाम कमाने की लालच में इस प्रोग्राम में भाग ले रही हैं, राहुल से शादी करने का उनका कोई इरादा नहीं है। अब उस वक्त डिंपी कैसे शादी के लिए तैयार हो गई थी, यह तो नहीं पता, लेकिन उस समय भी सारी दुनिया को पता था कि राहुल नसेड़ी और मानसिक तौर पर एक बीमार आदमी हैं, जो कुछ भी कर सकते हैं। अपनी पहली पत्नी श्वेता महाजन के साथ मारपीट करके उन्होंने सिद्ध कर दिया था कि वे किसी भी दृष्टिकोण से एक आर्दश पति लायक नहीं है। जिस चैनल ने राहुल महाजन को आर्दश पति के रूप में प्रस्तुत किया था, उस चैनल के लोगों की मानसिकत स्थिति पर दबे स्वर में उस वक्त भी सवाल उठे थे, लेकिन चमक दमक की आपाधापी में विरोध के वे स्वर गुम हो गये थे। अब एक बार फिर जब राहुल महाजन की नौटंकी शुरु हो गई है, और मीडिया के लोग इसे बिकाऊ खबर मान कर जोरदार तरीके से इसकी पैकेजिंग करने में जुटे हैं। वैसे राहुल महाजन को शुरु से ही मिडिया में बने रहने का चस्का लगा हुआ है, और उनकी इस मानसिकता का भरपूर फायदा मीडिया वाले उठा भी रहे हैं, उन्हें एक बिकाऊ प्रोडक्ट बना कर। ऐसे में क्या उन टीवी चैनलों को कठघरे में करने की जरूरत नहीं है जो भारत के कई बेहतरीन परंपरा को तारतार करके नोट छापने में लगे हुये हैं ?
दो व्यक्तियों के बीच के आपसी संबंधों को तार-तार करना निसंदेह स्वस्थ्य पत्रकारिता नहीं हो सकती। लेकिन जब दो व्यक्ति मार्केटिंग के नियमों पर चलते हुये सार्वजनिकतौर वैवाहिक संबंध स्थापित करते हैं, और इस संबंध को पूरे तामझाम के साथ बेचा जाता है, और उसकी कमाई का एक हिस्सा दोनों के खाते में भी जमा होता है तो इसके विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करने में कोई बुराई नहीं है, ताकि लोगों का दिमाग खुले और वे देख सके कि किस तरह से बाजारवादी प्रवृति उनके निजी जीवन को बेच खाने पर उतारू है, और किस तरह से समाज के स्थापित मूल्यों को तारतार किया किया जा रहा है।
जिस वक्त टीवी पर विवाह के इस कार्यक्रम में स्वयंवर शब्द का इस्तेमाल किया था, उसी वक्त देश की एक बेहतरीन परंपरा की ऐसी की तैसी कर दी गई थी। पारंपरिक नियमों के मुताबिक स्वयंवर का आयोजन लड़की का पिता किया करता था ताकि लड़की को अपने लिए मनपसंद वर चुनने का भरपूर मौका मिले। ऐसी स्थिति में लड़की के हाथ में वर माला देकर उसके सामने उससे शादी करने के इच्छुक लड़कों को खड़ा कर दिया जाता था और लड़की को अपना मनपसंद वर चुनने को कहा जाता था। या फिर लड़की का पिता कोई कठिन चुनौती सामने रखकर लड़की से शादी करने के इच्छुक नौजवानों की योग्यता की जांच करता था और उस पर खरा उतरने के बाद लड़की उससे शादी करने के लिए बाध्य होती थी, जैसे शिव धनुष तोड़ने पर रामचंद्र की शादी सीता से और घूमते हुये मछली की आंख में तीर मारने पर अर्जुन की शादी द्रौपदी से हुई थी।
राहुल महाजन के स्वंयवर की पैकेजिंग इस शानदार परंपरा के विपरित थी। राहुल महाजन को दूल्हे के रूप में खड़ा कर दिया गया था और उसके सामने पैसों और ग्लैमर का प्रलोभन देकर रुपहले पर्दे पर कैरियर बनाने की इच्छुक महत्वकांक्षी कमसीन लड़कियों को परोस दिया गया था। कई किस्तों में विभिन्न भाव भंगिमाओं में राहुल महाजन उन लड़कियों को आजमाने का स्वांग करते रहे, या यह कहना बेहतर होगा कि उनसे यह स्वांग कराया गया। और अंतत: धूम धड़ाके के साथ उन्होंने डिंपी के चयन की बात कही। सच्चाई तो यह थी कि शादी में भाग लेने वाली अन्य लड़कियों ने राहुल महाजन के साथ शादी करने से साफ तौर पर इन्कार कर दिया था। और इस स्वंयवर में यदि राहुल महाजन की शादी नहीं होती तो इस चैनल की ही भद्द पिट जाती। वैसे इस पूरे प्रोग्राम का स्क्रिप्ट पहले ही लिखा जा चुका था, और इसका पटाक्षेप राहुल महाजन की शादी के साथ होनी थी। ऐसे में डिंपी, इना, मिना डिका किसी को तो एक किरदार के रूप में खड़ा करना ही था।
अब शादी के पांच महीने बाद डिंपी अपने घुटने को सलीके से दिखाते हुये यह कहती फिर रही हैं कि उन्हें एक एसएमएस के कारण राहुल महाजन ने पीटा। वह अकेला रहना चाहती हैं ताकि उन्हें सोचने समझने का मौका मिले। इस बीच राहुल महाजन आईबीएन 7 से एक टेलीफोनिक टाक में कहते हैं कि अब डिंपी और उनके बीच सबकुछ ठिक ठाक हो गया है। डिंपी उनके पास लौट आई है और इस वक्त वह बेडरूम में सो रही है। अब राहुल यह भी दावा कर रहे हैं कि वह सबसे ज्यादा डिंपी को ही प्यार करते हैं।
बहरहाल राहुल महाजन और डिंपी के बीच जो कुछ भी चल रहा है, उसे लेकर मीडिया का उत्साह देखते ही बन रहा है। पहले तो मीडिया वालों ने खलनायक राहुल महाजन को एक सेलेब्रेटी बनाया, और फिर उनसे जबरदस्त कमाई करते हुये एक गलत प्रवृति के इनसान को सामने रखकर भारत की स्वंयवर वाली शानदार प्रथा की बाट लगा दी। और अब एक बार फिर राहुल और डिंपी प्रकरण को बेचने में जुटे हैं। इसे कहते हैं किसी व्यक्ति को प्रोडक्ट के रूप में इजाद करना और फिर जब भी मौका मिले उस प्रोडक्ट को बेचने की भरपूर कोशिश करना। इसके लिए जिम्मेदार राहुल महाजन नहीं है। अपने पिता प्रमोद महाजन की मौत के बाद नशाखोरी के कारण उन्होंने अपनी जो हालत की थी उससे पुरी दुनिया को पता चल गया था कि वह कितने लायक पुत्र हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि अपने पिता प्रमोद महाजन के जीते जी ही उन्होंने दिल्ली स्थिति अपने पिता के सरकारी आवास को नशा केंद्र के रूप में तब्दील कर दिया था, और वहीं से नशे के कारोबार का एक बड़ा रैकेट चलता था। ऐसे व्यक्ति को मीडियावालों ने एक आईकान के रूप में प्रस्तुत किया। प्रमोद महाजन के मीडियावालों से बेहतर ताल्लुकात थे, शायद इसी वजह से मीडियावाले राहुल महाजन को एक लाचार और संत्रस्त पुत्र के रूप में प्रस्तुत कर लोगों के मन में उनके प्रति सहानुभूति उत्पन्न करने की कोशिश करते रहे हैं। और अब डिंपी के घर से निकलने की कहानी को बेचने में लगे हैं। डिंपी ने पूरे होशोहवास में राहुल महाजन के साथ शादी की थी, या शादी करने की नाटक की थी। हो सकता है कि अंदर खाते राहुल के साथ उनकी शादी का कांटेक्ट छह महीने का हो, और समयअवधि पूरा होने के बाद वह राहुल को बाय बाय बोलना चाह रही हैं। ग्लैंमर और पैसे का नशा मूल्यों की दीवार को नहीं मानता। ऐसे में डिंपल के घुटनों में चोट के बावजूद उनसे यह सवाल पूछा जाना चाहिये कि इस नाटक नौटंकी के लिए उन्हें कितना पैसा मिला है? वैसे भी यदि राहुल महाजन डिंपल की मार-कुटाई करते हैं तो यह किसी भी लहजे से राष्ट्रीय न्यूज की श्रेणी में नहीं आता, क्योंकि यह खबर जनहित नहीं जुड़ा है। भारत में लाखों औरतों को उनका पति पिटता है, और वो भी बुरी तरह से। जिन्हें राष्ट्रीय मीडिया तो दूर लोकल मीडिया तक तवज्जो नहीं देता। ऐसे में राहुल यदि डिंपल को पिटते हैं तो कम से कम देश की सेहत पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। एंटरटेनमेंट न्यूज का ग्रामर कुछ और है, भव्यता को इमोशन में लपेट कर दिखाओ।
चूंकि अपने जीवन में पिटे हुये राहुल को बाजारू तंत्र को एक्टिवेट करके एक बिकाऊ माल बनाया जा चुका है, इसलिये तमाम मीडियावाले इस बिकाऊ माल से अपनी जेब भरने की फिराक में रहते हैं। ऐसे में यह कहना उचित होगा, राहुल तेरा मीडिया दीवाना, हाय राम तुझे देखे है जमाना।
अरे भाई अब धारावाहिक समाप्त होने वाला है ।