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स्थानीय निकायों में पचास फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकते

ओबीसी आरक्षण पर समर्पित आयोग ने की यूपी के अफसरों से वार्ता

 माननीय अध्यक्ष, न्यायमूर्ति, (भूतपूर्व) उच्च न्यायालय, नैनीताल के साथ पहुंचे आयोग के सदस्य

लखनऊ। ‘एकल सदस्यीय समर्पित आयोग’ उत्तराखंड के माननीय अध्यक्ष, न्यायमूर्ति (भूतपूर्व) उच्च न्यायालय, नैनीताल बीएस वर्मा ने उप्र शहरी विकास विभाग एवं निदेशक पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों से वार्ता की और स्थानीय निकाय में ओबीसी आरक्षण की प्रक्रियाओं को जांचा-परखा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशन में गठित यह आयोग उत्तराखंड में स्थानीय निकाय में ओबीसी आरक्षण कितना हो, इसकी जांच कर रहा है।
दो दिवसीय दौरे पर आए आयोग के माननीय अध्यक्ष और सदस्यों ने गुरुवार को अलीगंज स्थित पंचायतीराज निदेशालय लोहिया भवन में उप्र शासन से नामित अधिकारियों से बातचीत की। वार्ता में उप्र में स्थानीय निकाय में पंचायतों और शहरी विकास में ओबीसी आरक्षण प्रक्रिया और उसके अनुपात को जाना गया।
बैठक में उत्तराखंड से माननीय अध्यक्ष बीएस वर्मा, सदस्य सचिव व अपर सचिव पंचायती राज ओंकार सिंह, अपर निदेशक शहरी विकास एके पांडेय, मनोज कुमार तिवारी उप निदेशक पंचायती राज, उत्तर प्रदेश से पंचायती राज के अपर निदेशक राजकुमार, नगर निकाय की सहायक निदेशक सविता शुक्ला, संयुक्त निदेशक एके शाही और पंचायतीराज की उपनिदेशक प्रवीणआ चौधरी मौजूद थीं।
बैठक के बाद अध्यक्ष ने बताया कि संविधान के आर्टिकल (243) में स्थानीय निकायों में आरक्षण की व्यवस्था है। स्थानीय निकायों में पचास फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकते। माननीय सर्वोच्च न्यायालय में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को चैलेंज किया गया था। विकास कृष्ण गवाली वर्सेज महाराष्ट्र सरकार 2021 और दूसरा केस सुरेश महाजन वर्सेज मध्य प्रदेश सरकार का था।
संविधान में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आबादी के अनुपात में आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के लिए समर्पित आयोग के माध्यम से ट्रिपल टेस्ट के जरिये इसको लागू कराना है। इसी को ध्यान में रखते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर उत्तराखंड सरकार ने एकल सदस्यीय समर्पित आयोग का गठन किया था। इसमें ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया (आयोग गठन, डेटा संग्रह फिर सरकार को रिपोर्ट सौंपना) से गुजरना है।
उन्होंने उम्मीद जतायी कि शहरी निकायों के परिप्रेक्ष्य में अगले साल अप्रैल तक उत्तराखंड सरकार को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुकाबले उत्तराखंड में ओबीसी आबादी कम है। आयोग के सदस्य इलाहाबाद भी जाएंगे।

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