अभिनय मेरा जुनून है और फिल्म निर्माण मेरी जिम्मेदारी-रजनिका
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बहुमुखी प्रतिभा की धनी अभिनेत्री रजनिका का नाम सिने एवं टीवी दर्शको के लिए किसी खास परिचय का मौहताज नहीं है, कई दशक से अभिनय में सक्रीय रजनिकाने बताया की रांची प्रवास के दौरान जब मैं 4 साल की उम्र में रेडियो पर बज रहे हैं गानों पर अपने आप ही थीरखती थी…तब मेरे माता-पिता ने यह तय किया कि मुझे नृत्य की तालीम देनी चाहिए….फिर लखनऊ घराने के श्याम लाल मिश्र नटराज जी से मैंने कत्थक नृत्य शिखा और उसमें एम.ऐ. किया…उसी के साथ साथ स्कूल में हर रंगारंग कार्यक्रम, वाद विवाद प्रतियोगिता, स्पोर्ट्स इत्यादि सारे कार्यक्रमों में भाग लिया करती थी… उसके बाद हम भूटान चले गए वहां 4 साल प्रवास के दौरान भी यही सिलसिला चलता रहा.
..उसके बाद सन 1984 में रांची में दोबारा वापस आने के बाद मैंने निर्मला कॉलेज में एडमिशन लिया और आर्ट्स की पढ़ाई के साथ-साथ… कॉलेज के सारे कार्यक्रमों में तो भाग लेती ही थी…उसी दौरान मैने नाटको में कम शुरु किया…उसी दौरान मेरा चुनाव रांची दूरदर्शन और ऑल इंडिया रांची कि ड्रामा डिवीज़न मे ड्रामा आर्टिस्ट के तौर पर हुआ… 5 साल मैंने जमकर रांची रंगमंच पर बहुत सारे हिंदी नाटक किए जिसके निर्देशन मेरे पापा किया करते थे और मेरी माता श्री मेकअप संभालती थी… साथ ही साथ मैंने बिहार सरकार के लिए पर्यावरण पर डॉक्यूमेंट्री और एडवरटाइजिंग भी की…इसी दौरान मैने जगदीश कुमार जी से भरतनाट्यम तथा आनंद कुमार जी से शास्त्रीय संगीत की तालीम ली…
मेरा ग्रेजुएशन की पढ़ाई खत्म हो चुकी थी और मुझे एक कैरियर चुना था…या तो अपने अभिनय को आगे बढ़ाना…नहीं तो आईएएस ऑफिसर बनना…तब मुझे यह तय करना था की अभिनय की बारीकियां सीखने मुझे दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लेना है या देवानंद साहब के अनुसार मुंबई आकर बॉलीवुड में स्ट्रगल करना है…तभी सपरिवार हम लोग 1989 मैं मुंबई शिफ्ट हो गए, मुंबई आने के बाद मैं पापा के साथ एक्टिंग के लिए प्रड्यूसर्स के दफ्तर जाने लगी… मुझे काम भी मिलने लगा लेकिन कुछ कंडिशंस मुझे मंजूर नहीं थे…सो मैंने ओफर ठुकराना शुरू किया इसी दौरान राजश्री प्रोडक्शन की श्री गुप्ता जी ने मुझे मशहूर लेखक श्री के.ऐ.नारायण के यहां भेजा…जिन्होंने जॉनी मेरा नाम ज्वैलथीफ, विक्टोरिया नंबर 203 और ना जाने कितने हिट फिल्म लिखे थे…
उन्होंने हिंदी फिल्म शुरू की उस वक्त के कुछ उभरते हुए बड़े हीरो के साथ और मैं हीरोइन इंटरव्यूज हो रही थी…किसी कारणवश वह फिल्म बनी नहीं…इसी दौरान 3 साल तक मैंने श्री नारायण से फिल्म स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखना सीखा…1993 में मुंबई यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी में ऐम. ऐ. करने के लिए दाखिला लिया…पढ़ाई के साथ-साथ मैंने उस वक्त के अनगिनत हिंदी सीरियल जैसे कि तहकीकात, अधिकार, आशीर्वाद, सांस, सिसकी, आहट, युग, शांति, बंधन, कॉफी हाउस ,मोहनदास बीएएलएलबी,मायाजाल, इत्यादि बहुत सारे सीरियल्स में एक्टिंग की…साथ ही में मॉडलिंग भी करती रही…
1998 में बालाजी के सीरियल बंधन करने के बाद मैंने अभिनय से खुद को कुछ सालों तक दूर रखा तथा डबिंग की दुनिया में आ गई…डबिंग में मैंने अनगिनत फिल्मों की और सीरियल्स की डबिंग की अलग-अलग भाषाओं में… यह मेरी खुशकिस्मती है कि मैं किसी भी भाषा या लोक भाषा में डबिंग कर सकती हूं… इसलिए मुझे डबिंग का काम भरपूर मिलने लगा जिससे मुझे अपने अभिनय को जिंदा रखने और तराशने का मौका मिला… डबिंग करते-करते मैं अनगिनत साउथ की फिल्मों की डबीग डायरेक्टर भी बनी जैसे की डॉन नंबर वन, बगावत एक जंग, मै बलवान, बदमाश नंबर वन, मैदान ऐ जंग इत्यादि 500 से भी ज्यादा सबसे हिंदी फिल्मों की डबिंग डायरेक्टर रही तथा हीरोइन को अपनी आवाज दी… सन 2000 में मेरी शादी श्री सुदीप डी. मुखर्जी से हुई और साले तक हम दोनों ने इसी इंडस्ट्री में रहकर डबिंग, राइटिंग, पोस्ट प्रोडक्शन इत्यादि काम करके खुद के स्ट्रगल को जारी रखा और बहुत सारे उतार-चढ़ाव भी देखें…
2013 से सुदीप डी. मुखर्जी दोबारा हिंदी फिल्म निडर द फियरलेस से निर्देशन के क्षेत्र में उतरे तथा मैंने उस फिल्में आज एक्ट्रेस और को परोडूसर काम किया.. इसी दौरान मैने एक भोजपुरी फिल्म रिहाई में भी अभिनय किया और 2015 से मैंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी खोली सेवन स्टार क्रिएटिव इंटरनेशनल और उसके तहत हिंदी फिल्म चट्टान और चट्टान टू रिवाईव का निर्माण शुरू किया ,भारतीय संस्कृति, परंपरा और मर्यादा को ध्यान में रखते हुए हम फिल्म बनाते हैं…इस वक्त मेरे बैनर तले जो हिंदी फिल्में बन रही है वह है अंतराल, अग्निशिखा,धर्म रक्षक, दोस्ती हैकड इत्यादि.. अभिनेत्री रजनिका का कहना है की अभिनय मेरा जुनून है और फिल्म निर्माण मेरी जिम्मेदारी.