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अरविन्द अकेला कल्लू और योगेश राज मिश्रा की ‘विद्यापीठ’ की शूटिंग हुई पूरी

भोजपुरी फिल्मों के युवा स्टार जिन्हें फैंस प्यार से चॉकलेटी बॉय भी बुलाते है उनकी फिल्म ‘विद्यापीठ’ की शूटिंग पूरी हो गई है। फिल्म की शूटिंग कई दिनों से यूपी के बलरामपुर में की जा रही है। फिल्म का लोकेशन अपने आप में ही काफी अनोखा है। और फिल्म की कहानी अनुसार फिल्म के लोकेशन का चुनाव किया गया है। फिल्म में अरविन्द अकेला कल्लू को बेहद ही अलग किरदार में देखने वाले है दर्शक। इस तरह का किरदार उन्होंने अब तक किसी फिल्म में नहीं निभाया है।

इस फिल्म में एक युवा नेता की भूमिका में नजर आने वाले अरविन्द अकेला कल्लू ने अपने एक इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करते लिखा ”युवा सोच और युवा जोश के साथ ,उतरे हैं चुनाव-ए-मैदान में,करेंगे काम कुछ ऐसे ,कि दाग ना लगे स्वाभिमान में।”

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वही अरविन्द अकेला कल्लू ने एक और पोस्ट शेयर किया जिसमे वे अपने डायरेक्टर योगेश मिश्रा के साथ नजर आ रहे है और बिलकुल ही एक नेता के गेटअप में दिखाई दे रहे है। इस पोस्ट को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा ”मेरा नया लुक रिवील, नया किरदार “अभिनेता से नेता” .फिल्म ‘दबंग सरकार’ का निर्देशन करने के बाद से लगातार चर्चाओं में रहने वाले निर्देशक योगेश राज मिश्रा अपनी इस फिल्म को लेकर काफी ज्यादा मेहनत कर रहे है और फिल्म की हर बारीकियों पर नजर रखे हुए है। फिल्म को एक बड़े पैमाने पर शूट किया गया है। फिल्म के निर्माता गोविंदाजी (रणजीत जायसवाल) है जिन्हे अपनी फिल्म को लेकर काफी भरोसा है की फिल्म दर्शको का भरपूर मनोरंजन करेगी।

फिल्म की शूटिंग पूरी होने के बाद जल्द ही फिल्म का पोस्ट प्रोडक्शन किया जाएगा और फिल्म 2023 में रिलीज़ की जाएगी। फिल्म में अरविंद अकेला कल्लू के साथ आयुशी दत्त तिवारी , श्वेता माहरा, कृष्ण कुमार , विनीत विशाल, समर्थ चतुर्वेदी,मनोज टाइगर, जय शंकर पांडेय ,इंडियन फिल्म एकेडमी के 18 स्टूडेंट्स भी इस फिल्म में नजर आएंगे. जिनमें से कुछ मुख्य भूमिका में नजर आएंगे।

फिल्म के कोरिओग्राफर लकी विश्वकर्मा है. फिल्म का आर्ट देख रहे है सिकंदर, कॉस्टूयम कविता- सुनीता, फिल्म का लेखन मनोज पांडेय ने किया है और फिल्म के पीआरओ संजय भूषण पटियाला हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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