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इफ्फी-53 में दिखेगी विख्‍यात फिल्मकार ज्‍यां-लुक गोदार्द के जीवन और कार्यों की झलक

नई दिल्ली। इफ्फी-53 विख्‍यात फ्रेंच-स्विस फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और फिल्म समीक्षक ज्यां-लुक गोदार्द को श्रद्धांजलि दे रहा है और इस सिने उत्सव के महत्‍वपूर्ण हिस्‍से में इस फिल्मकार की बनाई कुछ बेमिसाल फिल्मों को विशेष रूप से प्रदर्शित किया जा रहा है।

एशिया के इस सबसे पुराने फिल्म महोत्‍सव में इस वर्ष फ्रांस को फोकस कंट्री बनाया गया है और ऐसे में फ्रेंच सिनेमा का उत्सव इस महोत्‍सव का एक अन्‍य आकर्षण भी है। निश्चित तौर पर गोदार्द फ्रांसीसी सिनेमा का एक महत्‍वपूर्ण व्यक्तित्व है! 1960 के दशक के दौरान गोदार्द, फ्रांकोइस ट्रूफ़ोट, एग्नेस वर्दा, एरिक रोमर और जैक्स डेमी जैसे फिल्म निर्माताओं के साथ फ्रेंच न्यू वेव फिल्म आंदोलन के अग्रणी के तौर पर उभरे। यकीनन वह युद्ध के बाद के दौर के सबसे प्रभावशाली फ्रांसीसी फिल्म निर्माता थे। अपने शुरुआती दिनों में गोदार्द ने प्रभावशाली पत्रिका ‘कैहियर्स डू सिनेमा’ के लिए फिल्म समीक्षक के रूप में कार्य करते हुए मुख्यधारा के फ्रांसीसी सिनेमा की ‘गुणवत्‍ता की परंपरा’ की आलोचना की, जिससे नवाचार और प्रयोग का महत्‍व घट गया। इसके जवाब में, उन्होंने और उनके समान विचारधारा रखने वाले आलोचकों ने फ्रांसीसी सिनेमा के अलावा पारंपरिक हॉलीवुड परंपराओं को चुनौती देते हुए अपनी फिल्में बनाना शुरू कर दिया। उनके काम में बार-बार सम्‍मान और फिल्म इतिहास के संदर्भों का उपयोग किया जाता है, और वह अक्सर अपने राजनीतिक विचारों को व्यक्त करते हैं। इस महान फिल्‍मकार ने इसी साल 13 सितंबर को दुनिया को अलविदा कह दिया।


इफ्फी 2022 में दिखाई जा रही गोदार्द द्वारा निर्देशित कुछ उत्कृष्ट कृतियां हैं –

अ वुमन इज़ अ वुमन /उने फेमे इस्ट उने फेमे – यह 1961 की यह क्लासिक फिल्‍म विदेशी नर्तकी एंजेला और उसके प्रेमी एमिल के संबंधों पर केंद्रित है। एंजेला बच्चे को जन्‍म देना चाहती है, लेकिन एमिल इसके लिए तैयार नहीं है। एमिल का जिगरी दोस्त अल्फ्रेड भी एंजेला से प्यार करता है और सौम्‍यता से अपने प्रयास जारी रखता है। चूंकि एमिल बच्चे के लिए उसके अनुरोध को दृढ़ता से मना कर देता है, अंत में एंजेला अल्फ्रेड का निवेदन स्वीकार करने का फैसला करती है और उसको अपना साथी चुन लेती है।

अल्‍फाविले/ एने स्‍ट्रेंज एवेंचर डि लेम्‍मी कॉशन 1965 में रिलीज हुई इस फिल्‍म में दिखाया गया है कि एक अमेरिकी सीक्रेट एजेंट को सुदूर अंतरिक्ष शहर अल्फाविले में भेजा गया है । जहां उसे एक लापता व्यक्ति को ढूंढना होगा और शहर को उसके अत्याचारी शासक से मुक्त कराना होगा।


ब्रेथलेस/अ बाउट डि सॉफल इस फिल्‍म के लिए गोदार्द ने 1960 में बर्लिन में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता था। इस फिल्‍म में एक मामूली से चोर के कारनामों को दिखाया गया है, जो एक कार चुराता है और आवेग में आकर मोटरसाइकिल वाले पुलिसकर्मी की हत्या कर देता है।

कॉन्‍टेम्‍प्‍ट / ले मेप्रिस 1963 की इस फिल्म में एक युवा फ्रांसीसी नाटककार पॉल जावल और उनकी पत्नी केमिली की जिंदगी की घटनाओं दिखाया गया है, जब पॉल एक पटकथा पर नए सिरे से काम करने के एक अभद्र अमेरिकी निर्माता जेरेमी प्रोकोश के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है।

गुडबाय टू लैंग्‍वेज/ आडियू अयु लैंग्‍वेज उन्‍होंने इस 3डी एक्‍सपेरिमेंटल नेरेटिव एस्‍से फिल्‍म का निर्माण 2014 में किया था। यह गोदार्द की 42वीं फीचर और 121वीं फिल्म या वीडियो प्रोजेक्‍ट है। दिलचस्प बात यह है कि इस फिल्‍म में गोदार्द का कुत्‍ता रॉक्सी मिएविल प्रमुख भूमिका में है!

पिय्रोट द फ़ूल/ पिय्रोट ले फू 1965 में बनी एक और क्लासिक फिल्म है। यह फिल्म फर्डिनेंड ग्रिफॉन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी शादी से खुश नहीं है और हाल ही में उसे नौकरी से निकाल दिया गया है। एक बोझिल सी पार्टी में भाग लेने के बाद वह भागने का मन बना लेता है और अपनी पत्नी, बच्चों और बुर्जुआ जीवनशैली को छोड़कर अपनी पूर्व प्रेमिका मैरिएन रेनॉयर के साथ भागने का फैसला करता है! जानिए आगे क्या होता है।

सी यू फ्राइडे, रॉबिन्सन /ए वेंद्रेदी, रॉबिन्सन 2022 में निर्मित, मित्रा फरहानी द्वारा निर्देशित इस फ्रेंच-स्विस डॉक्यूमेंट्री में, ज्‍यां-लुक गोदार्द ने खुद को अपने दैनिक विचारों में मंचित किया है और स्विट्जरलैंड से इमेज और वर्ड्स भेजे हैं।

 

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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