इरोम के समर्थन में “त हम कुआरे रहें” ? का मंचन
‘आइरन लेडी ऑफ मणिपुर, नाम से सुप्रसिद्ध महिला इरोम शर्मिला आर्म्स फोर्सेज एक्ट 1958, के विरोध में मणिपुर इंफाल के घाटी शहर मलोम में 2 नवंबर 2000 से लगातार आमरण अनशन पर हैं। इरोम की पीड़ा को देखते हुये उनके समर्थन में रावण नाट्य संस्था के कलाकारों ने सतीश कुमार मिश्र लिखित एवं उपेन्द्र कुमार द्वारा निर्देशित हास्य व्यंग्य से लवरेज नाटक ‘त हम कुआरे रहें?’ का मंचन स्थानीय कलीदास रंगालय, पटना में विगत 15 फरवरी को किया । साथ ही कलाकारों ने यथाशीघ्र उनके अनशन समाप्ति की कामना भी की । नाटक में मुख्य रूप से दहेज, जनसंख्या एवं अशिक्षा पर कुठाराघात किया गया है । इसमें ज्ञानगुनसागर एक ऐसा पात्र है जो अनपढ़ एवं शरीर से अपंग रहता है ,पर शादी के लिये उसकी व्याकुलता एवं उसके हाव भाव से कुछ लोग मौके का फायदा उठाते हैं और उसकी झूठी शादी कराकर उसकी सम्पत्ति हड़प लेते हैं। आखिर जब उसे अपने साथ धोखे का अंदेशा होता है, वह अपनी फरियाद लेकर मुखिया के पास जाता है। पर मुखिया स्वयं कम पढ़ा लिखा है, अत: उसका फैसला भी अत्यंत हास्यपद ही होता है। अंत में ज्ञानगुनसागर टूट जाता है और फुटफुट कर रोने लगता है। पूरे नाटक के दरम्यान कलाकारों ने जो शमा बांधा वह सराहनीय था ।कलाकारों के डायलॉग हॉल में उपस्थित लोगों को लगातार हसांते रहे। भाग लेने वाले कलाकारों में मुख्य कलाकार की भूमिका में सिकंदर ए आजम जिन्होंने ज्ञानगुनसागर की भूमिका निभाई वह अत्यंत कठिन भूमिका थी। पर रंगमंच पर उन्होंने उसे जीवंत कर दिया। उनका नाटक में बार बार यह कहना कि त हम कुआरे रहें, दर्शकों को काफी गुदगुदा रहा था। मुखिया जी की सभा में मगही गीत पर किया गया नृत्य, नाटक की जान था । मनमोहक नृत्य प्रस्तुति में शामिल कलाकार की अदायगी और उसके झटकों पर दूर तक झटक जाने वाले लिटिल वॉय की अदा भी निराली थी। शो के आखिर में दिया गया यह संदेश कि क्यों एक दुल्हन के लिये मरते हो, मरना है तो देश के लिये मरो, देशप्रेम की भावना को भी दर्शा गया । रमेश सिंह, कुमार शशि, हीरालाल राय, हैरीराज, मृत्युंजय कुमार, सतवीर कुमार, अमित कुमार ,अरविन्द कुमार, संजय कुमार, कुमार उदय सिंह एवं चंदन (लिटिल ब्यॉय) ने भी अपने किरदारों में लोगों को बांध दिया । नेपथ्य में प्रदीप गागुंली, मनीष महिवाल, अशोक कुमार श्रीवास्तव, रविभूषण बबलू, जयप्रकाश कुमार यादव एवं सुशील कुमार, मिडिया सलाहकार अनिता गौतम , ध्वनि अनिल चतुर्वेदी की भागीदारी एवं सहयोग प्रसंसनीय था ।
कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता डॉ अनिल सुलभ थे। श्री सुलभ ने इरोम शर्मिला के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुये उनकी अनशन समाप्ति को लेकर कलाकारों की पहल एक ऐसा संकेत है कि इरोम की अनशन शीघ्र समाप्त होगी । डॉ सुलभ ने इस बात पर काफी खुशी व्यक्त की, कि आज काफी दिनों के बाद किसी नाटक के मंचन के उद्गाघन में मैं इतने लोगों की उपस्थिति में दीप जला रहा हूं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ सत्यजीत कुमार सिंह , नीतीश चंद्रा, संजय कांत, अमरदीप झा गौतम, डॉ दिवाकर तेजस्वी, फिल्म अभिनेता आलोक यादव, सुनीता यादव, प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी, अभिषेक रंजन के अलावे अन्य अतिथि गण मौजूद थे । हमेशा की तरह सर्वाधिक तालियां बटोरने वाले प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी यहां भी सबों से आगे ही रहे। उन्होंने बगैर जूली के ही इस कार्यक्रम में शिरकत की पर उनकी मोहक मुस्कान और मधुर भाषा के सभी युवा कायल हो गये। त हम कुआंरे रहे, पर उनकी विशेष टिपण्णी थी कि यदि हम आधी आबादी की कद्र करें एवं कन्या भ्रुण हत्या ना करें तो कोई भी कुवारें नहीं रहेंगे।
यदि हम आधी आबादी की कद्र करें एवं कन्या भ्रुण हत्या ना करें तो कोई भी कुवारें नहीं रहेंगे।
ye sandesh failana atynt aawsyk hai………. visesh kar gaon me …….anita ji aap ka sukriya.
Very very Thanks to keep my attention that what are we missing due to our busy schduled in life.
Kash print media k log v puri natak dekh kar samichha karte anita gautam jee & tewar pariwar ko bahut-2 dhanwad.
Tah hum kuware rahe’ k analysis k lye Tewar.com sub editor mahodya anita gautam jee ko bahut-2 danyawad.
Tewar.com per tah hum kuware rahe? Play ka analysis dene k lye. Rawan pariwar ki or se Anita gautam ji evam tewar k padadhykarigan ko dhanyawad.