अंदाजे बयां

औरतों के अधिकार और संघर्ष की कहानी पर केंद्रित है हमारा शो’’अधिकार एक कसम एक तपस्या’’-सोमजी आर शास्त्री

राजू बोहरा नयी दिल्ली,

समय को नापने, तरासने और उसे हमेशा नया-नया अर्थ देने का जो प्रयास आज तक होता रहा है उसकी कहानी किसी से छिपी नहीं है. लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि आज दुनिया जिस ऊंचाई को छू रही है, जो सरसता और भावों की तरलता आम जिंदगी में बह रही है और जिस मानवीय सौंदर्य पर हमें इतराने का मौका मिला है, उसकी तह में औरत यानी स्त्रियां हैं. स्त्रियां ही हैं जो प्रकृति और पुरुष को संवारने जैसा कठिन काम कर रही हैं. उसके पीछे उनका कोई निजी स्वार्थ नहीं होता बल्कि वे मनुष्यता को बचाने में खुद की आहुती दे रही हैं. लेकिन उन्हें दुनिया, समाज और परिवार से क्या मिलता है?
इन्हीं सवालों का जवाब खोजने निकला हुआ है दूरदर्शन पर दोपहर 12.30 प्रसारित हो रहा धारावाहिक ’’अधिकार एक कसम एक तपस्या’’जो दूरदर्शन के दर्शको का प्रिय बना हुआ है जिसके  निर्देशक हैं सोमजी आर शास्त्री। उल्लेखनीय बात यह है कि सोमजी आर शास्त्री इसके पहले भी दूरदर्शन के लिये तीन सीरियल बना चुके हैं और सभी सुपर हिट रहे हैं. वह चाहे ‘ममता’ हो या ‘मेरे हमसफर’ या फिर ‘मंगलसूत्र एक मर्यादा’ हो। ‘मंगलसूत्र’ ने तो कामयाबी का शानदार परचम लहराया था. अब बारी ’अधिकार एक कसम एक तपस्या’’ की है जो 8 सितम्बर को सौ एपिसोड पूरा करने जा रहा है।
इस धारावाहिक में हरियाणा की पृष्ठभूमि को दर्शाया गया है. इसमें हिंदी मिक्स हरियाणवी बोली का पूरा लोच मौजूद है जो दर्शकों को अपनी ओर खींच रहा है. हरियाणवी का हास्य भी है और संस्कारों के साथ-साथ संवेदनात्मक पहलू भी हैं, धारावाहिक की कहानी कहानी पढ़ी-लिखी लड़की नंदिनी और प्रार्थना के ईर्द-गिर्द घूमती है। प्रार्थना लोगो में जागरूकता फैलाते हुये समाज में लड़कियों के प्रति दोहरे रवैये पर बदलाव लाना चाहती है और नंदिनी देव के प्यार में पड़कर बहू बनकर ऐसे परिवार में जाती है जो रुढि़वादी तो है ही, जहां अंधविश्वास का राज चलता है. परिवार के ज्यादातर लोगों में ज्यादातर लोगो में एक दूसरे के प्रति अविश्वास मौजूद है. उस घर का हर सवाल उसी से शुरु होता है और जवाब भी वहीं आकर ठहर जाता है. नंदिनी का पति देव पत्नी और मां के बीच में फंसता रहता है. नंदिनी शुरु में तो एक अजीब सी परिस्थिति में उलझ जाती है. वह परेशान-हताश भी होती है. फ्रस्ट्रेशन की भी शिकार होती है लेकिन एक सीमा तक जाते-जाते वह अपने आप में लौटती है और पढ़े-लिखे होने की जिम्मेदारी से भर जाती है. उसके खुद के जीवन में बदलाव आता है और ठान लेती है कि इस घर से बगावत न करते हुए सुधार की पूरी कोशिश करेगी. वह सबकी सोच को बदलने में लग जाती है. इस कोशिश में उल्टे वह खुद निशाना बन जाती है. एक टकराव शुरु हो जाता है. यह टकराव हर स्तर पर होता है, सास-बहू, ननद-भौजाई, पति-पत्नी, ससुर-बहू- सब आमने सामने हो जाते है. लेकिन नंदिनी हार नहीं मानती है, वह परिस्थितियों से लड़ती तो है लेकिन अपनी मर्यादा और शील नहीं छोड़ती है. उपहास सहती है लेकिन खुद किसी की उपेक्षा नहीं करती. परिवार की सोच को बदलने की कसम को तपस्या मान कर चलती है. आगे क्या होता है यह आने वाले एपीसोड में जाहिर होगा।
इस धारावाहिक की सबसे खास बात यह भी है कि यह सबसे बड़ी कास्टिंग और खूबसूरत लोकेशन वाला सीरियल है. इसमें फिल्म और टीवी के दर्जनो कामयाब कलाकार काम कर रहे हैं. उनमें रजा मुराद, सुरेंद्र पाल, पंकज बेरी, शहबाज खान, मनीष राज शर्मा, रवि यादव, मोहित अरोड़ा, सुहैब सुलतान, विजय गुप्ता, गौरव प्रतीक, मीनाक्षी वर्मा, उषा बच्छानी, गौरी सिंह, वर्षा चंद्रा, जिया दूबे, अकर्षा सिन्हा, नम्रता थापा, अतिश्री सरकार के साथ अपने समय की मशहूर फिल्म हीरोइन रेहाना सुल्तान व रीया चंदा व अदिती भी हैं। कहानी में हर किसी की महत्वाकांक्षा और स्वाभिमान एक दूसरे से टकराते हैं और वह संबंधों में दरार भी डालते हैं. मध्यम वर्ग के झूठे अहंकार का दर्द अपने पूरे वेग के साथ दिखाई पड़ता है, कोई जल्दी झुकने के लिये तैयार नहीं होता क्योंकि उसमें उसे अपनी हार दिखाई पड़ती है. यह जानते हुए भी कि यह मानसिकता उसके विकास में बाधक है, फिर भी पूरे परिवार में कोई भी सदस्य अपने पांव पीछे करने को राजी नहीं होता. कहानी आज के ज्यादातर परिवार की झलक देती है निर्देशक सोमजी आर शास्त्री ने इस कहानी के  पात्रों को जिस तरह से रचा बुना गया है, वह अपने आप में सराहनीय और संदेशात्मक है।
निर्देशक सोमजी आर शास्त्री का हिंदी साहित्य से गहरा रिश्ता है, इसलिये वह कहानी और पात्रो के चयन में पूरी तन्मयता दिखाते हैं. इनका कहना है कि दूरदर्शन ही अकेला ऐसा चैनल है जो देश की संस्कृति और सभ्यता का ख्याल रखता है और बनावटी जिंदगी से दूर रहकर दर्शको का मनोरंजन कराते  हुये देश को सही दिशा देने में निरंतर प्रयासरत है। समाज की मर्यादा रिस्तो की गंभीरता दूरदर्शन की पहली शर्त होती है। सबसे अहम बात दूरदर्शन के धारावाहिकों में भोंडापन से परहेज किया जाता है इस लिए आज  दूरदर्शन के पास सबसे ज्यादा दर्शक है।

raju bohra

लेखक पिछले 25 वर्षो से बतौर फ्रीलांसर फिल्म- टीवी पत्रकारिता कर रहे हैं और देश के सभी प्रमुख समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओ में इनके रिपोर्ट और आलेख निरंतर प्रकाशित हो रहे हैं,साथ ही देश के कई प्रमुख समाचार-पत्रिकाओं के नियमित स्तंभकार रह चुके है,पत्रकारिता के अलावा ये बतौर प्रोड्यूसर दूरदर्शन के अलग-अलग चैनल्स और ऑल इंडिया रेडियो के लिए धारावाहिकों और डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण भी कर चुके। आपके द्वारा निर्मित एक कॉमेडी धारावाहिक ''इश्क मैं लुट गए यार'' दूरदर्शन के''डी डी उर्दू चैनल'' कई बार प्रसारित हो चुका है। संपर्क - journalistrajubohra@gmail.com मोबाइल -09350824380

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