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खेसारीलाल यादव को हारमोनियम लेकर बैठने का चैलेंज दिया पवन सिंह ने

पटना। भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह और खेसारीलाल यादव के बीच शुरू हुआ शीत युद्ध परवान पर है। इसी बीच इस विवाद में आज पवन सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए साफ-साफ लहजे में कह दिया कि मैं सभी कलाकारों का सम्मान करता हूँ। भोजपुरी किसी एक के नहीं, बल्कि सभी के प्रयास से आगे बढ़ रही है। लेकिन कुछ लोग सिर्फ़ बड़बड़ा रहे हैं। बोलना नहीं चाहता हूं बाबू। बोलूंगा तो दिक्कत हो जाएगी। वैसे भी हर चीज का समय जवाब दे देता हैं।

https://fb.watch/9XZX6zLVZ0/पवन ने ये बातें फेसबुक लाइव आकर कहीं। साथ ही उन्होंने अपनी गलती भी स्वीकार करते हुए माफी मांगी और कहा कि हर चीज के बर्दाश्त की एक हद होती है। मैं भी इंसान हूं। पवन ने कहा कि रवि किशन, मनोज तिवारी, दिनेशलाल यादव निरहुआ, कुणाल सिंह से लेकर कल्लू, समर सिंह, रितेश पांडेय, राकेश मिश्रा, अंकुश राजा, प्रमोद प्रेमी, दीपक दिलदार समेत तमाम कलाकरों के लिए दिल में आदर है। कलाकारों की कोई जाति नहीं होती। मैं कलाकारों और अपने दर्शकों का सम्मान करता हूँ। मैं खुद को जनता के पांव की धुली समझता हूं। खुशी होती है,  जब हमारे भोजपुरी के कलाकारों को मिलियन व्यूज मिलते हैं। मैं भी हमेशा नया करने की कोशिश करता हूँ।

इतना ही नहीं पवन ने भोजपुरी की बेहतरी की बात कर समर सिंह के मामले को भी उठा लिया और तंज करते हुए कहा कि कहीं पहलवानी हो रहा है, कहीं अखाड़ा। ये सब मुझे नहीं करना। वहीं, पवन ने भोजपुरी में भिखारी ठाकुर और महेंद्र मिसिर के जिक्र पर भी बिना नाम लिए खेसारीलाल यादव को लपेट लिया और खुला चैलेंज दे दिया। पवन ने कहा कि सिर्फ़ बात करने से होगा। इतना ही है तो दोनों बैठते हैं,  हारमोनियम लेकर। देखते हैं कौन कितना भिखारी ठाकुर को गा पाता है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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