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दलित हितों की बात करने वाली पहली भोजपुरी फिल्म “जया” का पटना में हुआ प्रीमियर

मौके पर मौजूद रहे निर्माता रत्नाकर कुमार, निर्देशक धीरू यादव, लेखक धर्मेंद्र सिंह और कलाकार दयाशंकर पाण्डेय व माही श्रीवास्तव

पटना, 01 अगस्त : मसान, अमर सिंह चमकीला श्रेणी की पहली भोजपुरी फिल्म “जया” का भव्य प्रीमियर आज राजधानी पटना के सिने पोलिस में हुआ । दलित हितों की बात करने वाली पहली भोजपुरी फिल्म “जया” के भव्य प्रीमियर पर फिल्म के निर्माता रत्नाकर कुमार, निर्देशक धीरू यादव, लेखक धर्मेंद्र सिंह और कलाकार दयाशंकर पाण्डेय व माही श्रीवास्तव उपस्थित रहे।

फिल्म “जया” एक सशक्त संदेश देती है और समाज में दलितों के अधिकारों और संघर्षों को प्रमुखता से प्रस्तुत करती है। प्रीमियर के दौरान फिल्म को लेकर उत्साह और उत्सुकता देखी गई। वर्ल्डवाइड चैनल और जितेंद्र गुलाटी प्रस्तुत इस फ़िल्म के को- प्रोड्यूसर निवेदिता कुमार हैं।

निर्माता रत्नाकर कुमार ने कहा, “हमारी फिल्म ‘जया’ एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करती है और हमें गर्व है कि हम इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं।” निर्देशक धीरू यादव ने फिल्म की कहानी और उसके सामाजिक महत्व पर प्रकाश डाला। लेखक धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि फिल्म का उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाना और दलितों के प्रति समाज के दृष्टिकोण को बदलना है। प्रमुख कलाकार दयाशंकर पाण्डेय और माही श्रीवास्तव ने अपनी भूमिकाओं के बारे में बात की और फिल्म की सफलता के प्रति अपनी उम्मीदें जताईं।

फिल्म “जया” को दर्शकों और समीक्षकों द्वारा सराहा गया और इसे एक महत्वपूर्ण सामाजिक फिल्म के रूप में माना जा रहा है। आपको बता दें कि इस फिल्म से भोजपुरी सिनेमा को एक नई दृष्टि देने की कोशिश की गयी है। डिजिटल के नए दौर में “जया” जैसी फिल्मों से भोजपुरी सिनेमा का पुनर्जीवन होने की आस बंधने लगी है।

निर्माता रत्नाकर कुमार की इस फिल्म में निर्देशक धीरू यादव ने प्रशंसनीय काम किया है। फिल्म की कहानी किसी ऐसे कस्बे की है, जिसके किनारे गंगा घाट है और जहां दिन रात छोटी छोटी चिताएं जलती रहती हैं। घाट का डोम राजा अपनी बिटिया जया को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाता है और एक दिन मंच पर इनाम मिलने के समय बिटिया अपने पिता को भी बुला लेती है। इसी के बाद जया का जीवन मुसीबतों में घिरने लगता है।

ब्राह्मणों का एक बेटा उससे प्यार करता है, लेकिन जब इस प्रेम को साबित करने की जरूरत होती है तो वह विदेश चला जाता है। यहां जया के साथ आठ-10 साल में जो होता है, वो देखने के लिए आपको सिनेमा घर की ओर रुख करना होगा।

विदित हो कि फिल्म में माही श्रीवास्तव, दया शंकर पांडे, सुकेश आनंद, मनु कृष्णा, महेश आचार्य, धर्मेंद्र सिंह, राव रणविजय, ओमी कश्यप, रंभा साहनी, सोनाली मिश्रा, जुबेर शाह, योगेश पांडे, सोनू कुमार, निरंजन चौबे, अनामिका राय, नीरज कुमार सिंह, अनिता तिवारी, राम बिलास सिंह, सरिता सिंह, उत्पल सिंह, अभिषेक सिंह हैं।

फिल्म के डीओपी समीर सय्यद और पीआरओ रंजन सिन्हा हैं। म्यूजिक साहिल खान एंड धीरू यादव, लिरिक्स शकील आज़मी, एग्जेक्यूटिव प्रोड्यूसर राजेश सिरसट, बिज़नेस हेड इमरोज़ अख्तर(मुन्ना), कोरियोग्राफर महेश आचार्य, एडिटर सनी सिंह, डीआई निमेष चौधरी, बैकग्राउंड म्यूजिक एसएस ब्रदर, मिक्सिंग इंजीनियर सरोज शर्मा, वीएफएक्स सोनू मधेसिया,सिंक साउंड शत्रुघ्न सिंह,एसोसिएट डिरेक्टर सतीश दुबे, आर्ट सिकंदर विश्कर्मा एंड चंदन आर्ट, प्रोडक्शन जुबेर शाह, स्टिल फोटोग्राफर पंकज सक्सेना,पब्लिसिटी डिजाइन सागर सिन्हा हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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