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दूरदर्शन के चर्चित निर्माता-निर्देशक उदय कुमार को ’’कला श्री सम्मान’’

राजू बोहरा नयी दिल्ली

छोटे पर्दे के दर्शको के लिए निर्माता-निर्देशक उदय कुमार का नाम किसी खास परिचय का मोहताज नही है। वह बतौर निर्माता-निर्देशक पिछले बीस वर्षो से छोटे पर्दे के धारावाहिको और कार्यक्रमो के निर्माण व निर्देशन में लगातार सक्रिय है और दूरदर्शन के नेशनल चैनल डीडी वन से लेकर डीडी उर्दू, डीडी काशीर, डीडी एन ई दूरदर्शन नॉर्थ ईस्ट सहित दूरदर्शन के लगभग सभी रिजनल चैनल्स के लिए अनेक मनोरंजन व सामाजिक प्रधान सोशल जागरूक करने वाले धारावाहिको और कार्यक्रमो का निर्माण व निर्देशन कर चुके है जिनसे कई धारावाहिको और कार्यक्रमो को दर्शको ने काफी सराहा भी। उदय कुमार द्वारा निर्मित व निर्देशिक चर्चित धारावाहिको और कार्यक्रमो में ’’आईना’’, ’’उपहार’’, ’’मारे गये गुलफाम’’, ’’रहनुमा’’, ’’लगन’’, ’’और कौन’’, ’’आदाब अजर्’, ’’तर्ज-ए-बया’’, ’’फिक्र-ए-मुस्तकबिल’’ जैसे धारावाहिक और कार्यक्रम मुख्य रूप से शामिल है। छोटे पर्दे के दर्शको के लिए जागरूक करने वाले धारावाहिको और कार्यक्रमो का निर्माण व निर्देशन करने के लिए निर्माता-निर्देशक उदय कुमार को हाल ही में कला श्री सम्मान से सम्मानित किया गया है।
यह सम्मान उन्हें हाल ही में ’पंडित मदन मोहन मालवीय व सुप्रसिद्ध शायर मिर्जा गालिब की स्मृति में ’अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच’ द्वारा आयोजित 23 वे वार्षिक राष्ट्रीय महोत्सव में नयी दिल्ली के ’मुक्तधारा’ ऑडिटोरियम में पूर्व केंद्रीय मंत्री एव पूर्व राज्यपाल श्री डॉ० भीष्म नारायण सिंह के हाथो दिया गया। इस अवसर पर उपस्थित ’अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लक्ष्मन सिंह एव राजनेतिक,साहितिक, सामाजिक और बॉलीवुड हस्तियों ने निर्माता-निर्देशक उदय कुमार के जागरूक करने वाले धारावाहिको और कार्यक्रमों की सराहना भी की।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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