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ram mandir VHP : …और यूं अयोध्या में कार सेवकों ने फहराया था भगवा झंडा, देखें अशोक श्रीवास्तव का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

ओम वर्मा, मोतिहारी। ram mandir VHP :


22 जनवरी का दिन इस देश के लिए ऐतिहासिक होगा।

पांच सौ साल बाद हम भारतीयों को यह शुभ दिन देखने को मिलेगा। अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। इसके लिए हजारों रामभक्तों ने अपना जीवन न्योछावर कर दिया। हम लोग बहुत भाग्यशाली हैं कि आज यह दिन देखने को मिल रहा है। यह कहना है सन 89, 90 और 92 में कार सेवा में हिस्सा लेने वाले ​विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय प्रमुख अशोक श्रीवास्तव का। इंफोपोस्ट के साथ एक्सक्लूसिव वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने कार सेवा के संस्मरण सुनाए। उन्होंने बताया कि कैसे तत्कालीन केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार ने हिंदुओं पर जुल्म ढाए थे और कैसे हिंदुओं की हत्या कर उन्हें सरयू नदी में फेंक दिया गया। अशोक श्रीवास्तव ने हिंदुओं से आह्वान किया कि 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन अपने अपने घरों को सजाएं। पूजा करें। दीया जलाएं। आरती करें। यह दिन हम सभी भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण है।

ऐसे हुई थी कार सेवा की शुरुआत

ram mandir VHP : आयोध्या में ताला खुलने के बाद सन 89 में विश्व हिंदू परिषद की ओर से शिला पूजन का कार्यक्रम शुरू हुआ। तत्कालीन केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार ने रामभक्तों को चेतावनी दी। कहा कि राम जन्म भूमि पर पूजा करने पर प्रतिबंध लगा दिया। हिंदुओं ने पूजा करने की इजाजत मांगी। लेकिन सरकार ने इजाजत नहीं दी। तत्कालीन सरकार ने हिंदुओं के खिलाफ काम किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने कहा कि अयोध्या की इस प्रकार की घेराबंदी कर दी गई है कि वहां एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। उनकी चुनौती को विहिप ने स्वीकार किया और रामभक्त अयोध्या गए। वहां रामभक्तों पर कार्रवाई की गई। इसके बाद भी कारसेवकों ने वहां पूजा की और वापस आए। उस वक्त मैं इंटर का छात्र था और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का काम देख रहा था।

90 में ऐसे हो गए थे हालात

1990 में कार सेवा में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने रामभक्तों पर कई जुल्म ढाए थे। क्रूर पुलिस वालों को रामभक्तों पर जुल्म ढहाने के आदेश दिए थे। बस, ट्रेनें रोक दी गई थी। संचार के सभी साधन बंद कर दिए गए थे। ​फिर भी रामभक्त गर्भगृह की ओर गए। जैसे ही कारसेवक आगे बढ़े, उन पर मुलायम सिंह के आदेश पर गोलियां बरसाई गईं। अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि वह खौफनाक मंजर मुझे आज भी याद है। जिस कारसेवक के पैर में गोली लगती थी, वह छटपटाता रहता था। मुलायम सिंह की पुलिस उस कारसेवक के शरीर में बालू का बोरा बांधकर उसे सरयू नदी में जिंदा ही फेंक देती थी और उसी में तड़प तड़प कर उसकी मृत्यु हो जाती थी। इस तरह से हजारों कारसेवकों को मार डाला गया। सरयू नदी का पानी खून से लाल हो गया था। इन हालात के बावजूद रामभक्तों ने वहां पूजा की। हमारे साथ कोठारी बंधु भी थे। 92 की कारसेवा में अयोध्या में ढांचा पर भगवा झंडा लहराते समय उनको गोली मार दी गई और वे नीचे गिर गए।

प्राण प्रतिष्ठा का विरोध करना गलत

ram mandir VHP :  अशोक श्रीवास्तव ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का विरोध करने के सवाल पर कहा कि पुरातन समय में जब भी संत महात्मा कोई अनुष्ठान करते थे तो असुर प्रवृति के लोग हवन कुंड में हड्डी आदि डाल देते थे ताकि अनुष्ठान पूरा न हो। इसी वजह से भगवान को असुर शक्तियों का संहार करना पड़ता था। आज जब अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है तो कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं। धर्म और सत्य का विरोध हमेशा होता आया है। लेकिन जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उनके मंसूबे पूरे नहीं होंगे। कुछ शंकराचार्यों की ओर से विरोध किए जाने को लेकर अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्र धर्म पर अगर कोई विरोध कर रहा है तो निश्चित रूप से वह पूर्वाग्रह से ग्रसित हो सकते हैं।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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