दूसरों की समीक्षा छोड़कर आत्ममंथन करना चाहिए ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू को : मनोज शर्मा

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पटना। बिहार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने कहा कि  दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सिद्धांतों पर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी का हर एक कार्यकर्ता अनुशासन और एकता में विश्वास रखते हैं। भाजपा सिद्धांतों वाली पार्टी है और ऐसे में यदि कोई नेता भाजपा के नीति, सिद्धांत, अनुशासन से विपरीत आचरण करता है तो, उसे माना जाता है उसने अभी तक पार्टी को आत्मसात नहीं किया है।  जिस तरह से विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू अपने पर  बड़बोलेपन का परिचय दे रहे हैं उससे साफ हो गया है उनको सैद्धांतिक बातें पचती नहीं है। भाजपा ने उन्हें अपने यहां शरण क्या दिया, वह भाजपा की समीक्षा करने लगे ! जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं है।

ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू को दूसरों की समीक्षा छोड़कर आत्ममंथन और चिंतन करना चाहिए। उन्हें इस बात का चिंतन करना चाहिए कि उनमें क्या कमी रह गई कि उनको इस लायक नहीं समझा गया कि वह मंत्रिपरिषद के सदस्य बन सके। उनको इस बात का मंथन करना  चाहिए कि उनका किसी के साथ कोई को-कॉर्डिनेशन क्यों नही बन पाता है। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के चरित्र में भाषाई दरिद्रता दिखती है। उनके आचरण में अव्यावहारिकता दिखती है। इस संदर्भ में उनका पूरा व्यक्तित्व खोखला नजर आता है।

उन्होंने कहा कि ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू को अपनी शालीन व्यक्तित्व का परिचय देना चाहिए। उन्हें पार्टी के हर एक कार्यकर्ता और नेता का सम्मान करना चाहिए। वह एक सम्मानित सदन के सदस्य हैं। इस बात का अक्सर उन्हें ख्याल रखना चाहिए। जिस तरह से उन्होंने अपना व्यवहार दिखाया है, उससे उनके प्रति लोगों का सम्मान कम होता है।

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