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नवरात्र पर्व पर नीम पौधारोपण कर नीम कॉरिडोर का विस्तार

पटना।पीपल नीम तुलसी अभियान के तहत नवरात्र में देवी शक्ति नीम के प्रति आम लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए पहले नवरात्र पर मटका विधि से 9 नीम के पेंड लगाकर देवी मां की आराधना की । सप्तमी नवरात्र के दिन *देवी स्थान गोरिया टोली के पंडाल में देवी शक्ति के रूप में 500 नीम पौधा लोगों में वितरित कर अपने घरों के आसपास लगाने का आवाह्न किया गया। अष्टमी नवरात्र पर भी 9 नीम कलश के साथ लगाए गए। अंत में महानवमी के पावन अवसर पर श्री रंजन कुमार गुप्ता जी के घर स्थापित किए गए 9 कलश और 9 नीम के पौधों का गंगा पथ ,गोलघर के सामने पौधारोपण कर नीम काॅरिडोर का विस्तार किया गया । पुराने लगाए गये नीम के पौधों का पानी पटवन किया गया।

इस अवसर पर डॉ धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि पेंड़- पौधों ,नदी, पहाड़, जीव जन्तुओ प्रकृति में ही ईश्वर का सूक्ष्म रूप में निवास है । इनकी सेवा ही ईश्वर की सच्ची पूजा है। नीम का पेंड़ भी दैवीय शक्ति का रूप है। नवरात्रि में आम लोगों को नीम के महत्व का एहसास कराने के लिए पहली पूजा से नीम पौधारोपण कर शुरू की गई। पीपल नीम तुलसी अभियान से लोगों का पौधारोपण में रूझान बढ़ रहा है। नीम हर प्रकार के संक्रमण से मुक्ति दिलाता है ।आज हर शहर में नीम की संख्या आम जनसंख्या के अनुपात में नगण्य है। बदलते वातावरण के चलते मलेरिया और डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। नीम मलेरिया बुखार में लाभदायक है और डेंगू मच्छर को नपुंसक बना देता है । उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष लगाए गए नीम के पौधे विकसित हो गए है लेकिन कुछ शरारती लोगों ने दो नीम के पेंड़ों को क्षतिग्रस्त कर दिया। सरकार ऐसे शरारती लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे। नवरात्र पौधारोपण अभियान में डा आर के ठाकुर , राधे राधे , लालबाबु सिंह , डॉ संतोष कुमार , डॉ दिलीप कुमार , संतोष यादव , प्रदुम्न यादव , प्रशांत झा सहित बहुत से अन्य लोगों ने अपना सहयोग दिया।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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