प्रत्यय अमृत के भरोसे ही दो महकमों आपदा प्रबंधन तथा स्वास्थ्य को क्यों रखा गया है : राजेश राठौड़
पटना। बिहार फिलहाल कोरोना तथा बाढ़ के दोनों महाआपदाओं से एक साथ जूझ रहा है।ऐसे में सिर्फ एक अधिकारी के भरोसे दोनों विभाग को छोड़ देना जनता के साथ पूरी तरह से नाइंसाफी है। बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से प्रश्न करते हुए पूछा है की बिहार में योग्य आईएएस अधिकारियों की घोर किल्लत है क्या, जो सिर्फ प्रत्यय अमृत के भरोसे ही आपदा प्रबंधन तथा स्वास्थ्य दोनों महकमों को रखा गया है? उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के विस्तृत खतरे तथा बाढ़ की विभीषिका के मद्देनजर राज्य सरकार को आपदा प्रबंधन तथा स्वास्थ्य विभाग दोनों में अलग-अलग अनुभवी अधिकारियों की तैनाती करनी चाहिए। मगर सीएम नीतीश कुमार ने दोनों पदों पर एक साथ वरिष्ठ आईएएस प्रत्यय अमृत को तैनात कर यह साबित कर दिया की प्रदेश में योग्य अधिकारियों का घोर अभाव है। उन्होंने कहा की अगर दोनों विभागों में दो अनुभवी तेज तर्रार अधिकारी रहते तो एक साथ कोरोना तथा बाढ़ दोनों पर नियंत्रण पाने की लड़ाई गति पकड़ सकती थी। राठौड़ ने कहा है कि राज्य सरकार जनता को बताए की किन कारणों से लगातार दो स्वास्थ्य सचिवों को बदलना पड़ा, वह भी कोरोना के खिलाफ जारी जंग के बीच में।उन्होंने कहा की सीएम नीतीश कुमार तथा डिप्टी सीएम सुशील मोदी एक दिन भी अस्पतालों की दुर्दशा तथा कोरोना पीड़ितों के कष्ट को देखने के लिए अस्पताल नहीं पहुंचे। जिससे साफ जाहिर होता है कि उन्हें राज्य की आम अवाम की कितनी चिंता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे खानापूर्ति के नाम पर एक बार अस्पताल जायजा लेने के लिए पहुंचे। मगर नियम सम्मत तरीके से कोरोना महा आपदा की विभीषिका को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार तथा डिप्टी सीएम सुशील मोदी दोनों को राज्य के प्रमुख अस्पतालों का जायजा लेने जाना चाहिए। ताकि स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत डॉक्टरों तथा अन्य कर्मियों का उत्साह मंद ना पड़े। राजेश राठौड़ ने कहा है कि यह विडंबना है कि इतनी कठिन परिस्थिति में भी 15 वर्षों तक बिहार की गद्दी पर विराजमान रहे सीएम नीतीश कुमार को बेहतर काम करने के लिए एक योग्य अधिकारी नहीं मिल रहा है। राठौड़ ने राज्य सरकार के द्वारा दो बार स्वास्थ्य सचिव के तबादले को सिर्फ जनता की नजरों में धूल झोंकने की कवायद बताया है। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार में स्वास्थ्य विभाग की हालत इतनी चौपट हो गई है कि किसी भी अधिकारी के वश में नही है की रातों रात इसे ठीक कर दे। उन्होंने कहा कि अगर चमकी बुखार के मामलों से सीख लेकर समय रहते सीएम नीतीश कुमार ने ध्यान दिया होता तो आज राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी बदहाल नहीं होती।