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फेसबुकियों से परेशान मोदी सरकार

फेसबुकियों से परेशान मोदी सरकार

देश में जारी धार्मिक दमन और जमीन अधिग्रहण के खिलाफ उठ रही आवाजों को दबाने के लिए मोदी सरकार फेसबुक पर न सिर्फ कड़ी नजर रखे हुये बल्कि कई फेसबुक एकाउंट की एक सूची भी बना रखी है और फेसबुक वालों से इन एकाउंटों के बारे में जानकारी भी मांग रही है। मोदी सरकार फेसबुकियों से डर रही है और उन पर कड़ी नजर रखना चाह रही हैं ताकि जरूरत पड़ने पर उनका टेंटुआ पकड़ा जा सके। फेसबुकिये भी जिद्दी किस्म के प्राणी लग रहे हैं, पीएम मोदी की हर गलती की चीरफाड़ कर रहे हैं, जबकि इसकी जिम्मेदारी धुरंधर परंपरावाले संपादकों की थी।

सोशल मीडिया की ताकत को पीएम मोदी अच्छी तरह से समझ रहे हैं। खुद को इस मुकाम तक लाने के लिए उन्होंने झूठ गढ़ने में इस माध्यम का भरपूर इस्तेमाल किया है। जो राक्षसी कद उन्होंने अख्तियार किया है और जिसके सहारे वो कॉरपोरेट के लिए जमीन कब्जाऊ बिल पर ताल ठोक रहे हैं उसकी हवा तो फेसबुकियो ने निकाल ही दी है। शायद मोदी सरकार अब इन फेसबुकियों के होश ठिकाने पर लाना चाह रही है।

मोदी सरकार फेसबुक प्रबंधन पर कुछ एकाउंटों की जानकारी हासिल करने के लिए दबाव बढ़ा रही है।  फेसबक की ग्लोबल गवर्नमेंट रिक्वेस्ट्स रिपोर्ट के मुताबिक 2014 की दूसरी छमाही में भारत सरकार के अनुरोध थोड़े से बढ़े हैं। उन एकाउंटों की संख्या बढ़ गई है जिन्हें सरकार विरोधी माना जा रहा है। पहली छमाही में भारत ने डेटा अकाउंट की जानकारी के लिए 34946 अनुरोध भेजे थे जबकि दूसरी छमाही में 35051।

फेसबुकियों ने मोदी सरकार के नाक में दम कर रखा है। जमीन बिल को लेकर खूब हमले हो रहे हैं, और अबतक फेसबुस पर मोदी के गुब्बारे में हवा भरने वाले मोदी भक्त फेसबुकियों का डिफेंस भी गड़बड़ा सा गया है। पहले अटैक में रहते थे और अब डिफेंस में भी नहीं दिख रहे हैं, हालांकि मोदी ने संसद में कहा है कि इस बिल को लेकर आप लोगों को भागने की जरूरत नहीं है, बल्कि समझाने की जरूरत है। अब समझाने के लिए कुछ बचे तब न समझाया जाये। दिल्ली में करारी हार के बाद मोदी-मोदी की गूंज तो लगभग थम ही गई है। फेसबुक पर तो पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है यह गूंज। और फेसबुक के बाहर भी अब गूंज सुनने को नहीं मिल रही है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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