बियाडा मामले में एक दूसरे की पोल पट्टी खोलता पक्ष और विपक्ष
वर्ष 2006 में बियाडा के नियमों में किये संशोधन को लेकर विपक्ष की ओर से सवाल उठाये जा रहे हैं। इस संसोधन के तहत सिंगल विंड की व्यवस्था की गई और फिर बियाडा के जमीन का बंदरबाट हुआ। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद भी इस मामले में अब खुलकर मैदान में उतर गये हैं। लालू इस प्रकरण को लेकर कोर्ट जाने के मूड में है। इसके साथ ही जनता के बीच अलख भी जगाने की बात कर रहे हैं। वैसे लालू यादव की स्थिति अभी फुके हुये कारतूस की तरह है, जिस तरीके से उन्होंने बिहार को लंबे समय तक हांका है उससे उनकी विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है। ऐसे में लालू बियाडा की पिच पर कितनी लंबी पारी खेल पाते हैं कह पाना मुश्किल है। लेकिन फिलहाल लालू इसका इस्तेमाल संजीवनी की तरह करने की रणनीति बना चुके हैं।
बियाडा के मामले में कुछ दिलचस्प प्रकरण बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के प्रेंस कांफ्रेंस में सामने आया है। मोदी ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि करीब 85 फीसदी जमीन पूर्ववर्ती राजद और कांग्रेस के शासन में बांटी गई है। और इसका लाभ उठाने वालों में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह सहित कांग्रेस के धाकड़ नेता राम लखन सिंह यादव के रिश्तेदार भी हैं। इसके अलावा राजद के भी नेताओं को बियाडा की जमीन हासिल हुयी है। सुशील कुमार मोदी की कोशिश पूवर्वती शासकों का हवाला देकर वर्तमान में बियाडा की जमीन के आवंटन को सही ठहराना है। एक तरह से एक दूसरे की पोल पट्टी खोलते हुये सीधे तौर पर तमाम पक्ष और विपक्ष इस मामले में लंबे समय से चली आ रही अनिमियतताओं को ही उजागर कर रहे हैं। सुशील कुमार मोदी का यह तर्क निर्लज्जता की हद को पार कर रहा है।
इस प्रकरण में नीतीश सरकार की बर्खास्तगी और सीबीआई जांच कराने को लेकर राजद और कांग्रेस दोनों महामहिम राज्यपाल के यहां गुहार लगा रहे हैं। राजद और कांग्रेस के इस कदम को रुटीन पोलिटिक्स का एक हिस्सा कहा जा सकता है। राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दकी का कहना है कि 2006 में बियाडा के नियमों में सिंगल विंड को लेकर किया गया संशोधन सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करता है। सरकार में बने लोगों ने पहले से ही जमीन की लूट खसोट की तैयारी कर ली थी। यह कारण है कि पहले आओ पहले पाओ के तर्ज पर मंत्री पुत्रों को जमीनें दी गई।
उधर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह इस बात से साफ इंकार कर रहे हैं कि बियाडा के जमीन आवंटन को लेकर किसी भी तरह की अनियमितता हुई है। उनका कहना है कि मुख्य सचिव अनुप मुखर्जी ने भी अपनी रिपोर्ट दे दी है। सरकार पर लगने वाले बेबुनियाद आरोपों का जवाब समय देगा। इतना ही नहीं वशिष्ट नारायण सिंह उल्टे विपक्ष पर यह आरोप लगा रहे हैं कि उनके पास न तो इस मामले में सही जानकारी हैं और न ही कोई मुद्दा है। ये लोग बिहार के माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
पहले तो यह कहूंगा कि आइए मिल बाँट कर देश को खाएँ और मौका देखकर एक दूसरे की धोती उतारें। ये सारे लुटेरे किस अन्दाज में सारे वैध काम करते हैं यह इस राज्य का मुखिया कह चुका। क्योंकि बिहार के 10 करोड़ से अधिक लोगों में सारे ईमानदार कर्मठ और बुद्धिमान उद्यमी तो बस नेता और मंत्री के ही बेटे और रिश्तेदार हैं। मैंने कुछ दिन पहले को लेख लिखा था कि बिहार में कैसे प्रखंडों में बी टेक और एम टेक लोग घास चरने को तैयार हैं वैसे ही एम बी ए भी तो हैं लेकिन नहीं वे सब बेईमान हैं और सारे ईंमानदार अब जमीनदार हैं।
‘वैसे लालू यादव की स्थित अभी फूंके हुये कारतूस की तरह है’- यह वाक्य मजेदार लगा।
अब देखिए एक विश्लेषण।
‘फिलहाल लालू इसका इस्तेमाल संजीवनी की तरह करने की रणनीति बना चुका है।’
इस वाक्य को अगर हम लिखने की भूलें जो मनोविज्ञान में पढ़ाई जाती हैं, से तुलना क के देखें तो यह आपके मन का सच ‘चुके हैं’ से बदलकर ‘चुका है’ हो गया है।
दूसरे लोग जमीन लेकर भी क्या करेंगे ,सरकारी फंड तो नेताओं को ही मिलेगा न…
chalo ek kawayed aur sahi. waise nitish ji gahare paani paith kar moti chunne walo main se hain.
dono swar virodhi aur vidrohi ko kaise thikane lagaana hai wo jaante hain. Alok ji aap samjhdaar lagte ho. kam se kam likhna to mat chhodna. Paini nazar aapki barkaraar rahe
iss kaamna ke saath.
aapka humdard
vinay