“महर्षि वाल्मीकि शुद्र थे ब्राहमण नहीं” पुस्तक का विमोचन हिंदी भवन में हुआ

0
94

राजू बोहरा नई दिल्ली /तेवरऑनलाइन डॉटकॉम

आदवंशी कला संगम और के.बी.एस प्रकाशन के संयुक्त प्रयास से देश के अग्रणी साहित्यकार और मूर्धन्य रंगकर्मी कैलाश चंद की पुस्तक महीर्ष वाल्मीकि शूद्र थे ब्राहमण नहीं का विमोचन शनिवार को राजधानी स्थित हिंदी भवन में प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम के नेतृत्व में आयोजित हुआ। इस अवसर पर राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि सरकार का क्षेत्रफल सिमटता जा रहा है। प्राइवेटाइजेशन का युग शुरू हो गया है। ऐसे आलम में यदि बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा निर्मित संविधान नहीं होता तो स्थिती और भी भयावह होती।अपने संबोधन में डा पूनम तुषामड ने कहा कि मेहनत कश जातियों की स्थिति यदि सुधरी है तो इस सुधार में वाल्मिकी जी और कैलाश जी जैसे बेखकों का भी बहुत बड़ा योगदान है। वरिष्ठ रंगकर्मी हनु यादव ने कहा कि मैं रंगकर्मी हूं,समय और कालचक्र को वर्तमान में देखने की आदत है मेरी। मैंने तो सुना है कि वाल्मीकि डकैत थे। वो जंगल में रहते थे। तो निश्चित ही वो शूद्र ही होंगे। क्योंकि तब शूद्र समाज जंगल में रहता था |इस आयोजन में के एन बालू,डा पूनम तुषामड़,डा पूरन सिंह,डा मुनेष कुमार, निरुपमा, मुकेश कुमार,अजय जीनवान और हनु यादव जैसी हस्तियां मंचासीन हुई।इस आयोजन की अध्यक्षता डॉ कुसुम वियोगी ने की तो मंच संचालन की जिम्मेदारी का निर्वहन भावना शर्मा ने किया

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here