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बिहार के इस लौंडे ने बरक़रार रखी है फिल्म इंडस्ट्री के 80 और 90 के दशक की सिनेमा स्टाइल को : कुणाल तिवारी

बॉलीवुड और बाकी भाषाओं की फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ आज हमारी भोजपुरी इंडस्ट्री भी काफी उचाईया छू रही है। नयी तकनीक और नए कांसेप्ट को लेकर अब फिल्मे बनने लगी है। साथ ही जहाँ फिल्मो की शूटिंग केवल कुछ लोकेशन तक सिमित थी अब वह बढकर विदेशो तक पहुंच गई है। लेकिन इसी बीच कही न कही कुछ ऐसे एक्टर भी भोजपुरी इंडस्ट्री में है जो अपनी मिट्टी में रहकर एक खास एयर अनोखे फिल्म लेकर दर्शको तक आते है और लोगो के बीच छा जाते है।

आज हम ऐसे ही एक एक्टर की बात कर रहे है जिनका नाम है कुणाल तिवारी। कुणाल तिवारी अपनी फिल्मो में एक नए एक्सपेरिमेंट के लिए तो जाने जाते ही है लेकिन उनकी फिल्मो में जो मिट्टी की खुसबू दर्शायी जाती है वो और किसी फिल्मो में नहीं देखने मिलती। कुणाल तिवारी समाज के अहम् मुद्दों पर फिल्म करते है। जो यक़ीनन कोई जल्दी नहीं करना चाहता लेकिन वे एक चैलेंज के तौर पर इसे एक्सेप्ट करते है।

आज के मॉडर्न समय में भी कुणाल तिवारी की फिल्मो में 80 और 90 के दशक के समय की फिल्मो की मिठास देखने और महसूस करने को मिलती है जो यक़ीनन काफी खास और दिलस्चप होती है। कुणाल तिवारी इन दिनों अपनी ऐसी ही एक खास फिल्म ‘लल्ला’ की शूटिंग पूरी कर मुम्बाई लौटे है। फिल्म के शूटिंग से कुछ खास फोटोज भी सामने आये है जिसमे उनका लुक बेहद ही अनोखा दिखाई दे रहा है। रोटी, तू दिया और बाती हम और झूला जैसी फिल्मो में भी कुणाल तिवारी का लुक बेहद ही आकर्षित रहा है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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