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भगत सिंह विचार मंच की स्थापना

तेवरआनलाईन, कोलकाता

विद्यार्थियों के बीच शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के विचारों को फैलाने के लिए भगतसिंह विचार मंच की स्थापना की गई है। शहीद-ए-आज़म भगतसिंह की छोटी बहन बीबी अमर कौर के पुत्र और शहीद भगतसिंह शोध केन्द्र,लुधियाना के प्रो. जगमोहन सिंह मंच के संरक्षक हैं। भगत सिंह विचार मंच ने भगत सिंह के लेखन पर महीने में दो बार विचार गोष्ठी आयोजित करने का निर्णय लिया है । गत शनिवार को शहीद यादगार समिति के कार्यालय में धर्म और हमारा स्वतंत्रता संग्राम विषय पर मंच के कार्यकारी अध्यक्ष केशव भट्टड़ की अध्यक्षता में विद्यार्थियों की परिचर्चा गोष्ठी हुई ।

पश्चिम बंग राज्य विश्वविद्यालय की छात्र श्रेया जायसवाल ने कहा कि बाकुनिन के ईश्वर पर अनास्था सम्बन्धी विचारों ने भगत सिंह को गहरे तक प्रभावित किया। भगतसिंह कहते थे कि अंग्रेजों की हुकूमत यहाँ इसलिए नहीं है कि ईश्वर ऐसा चाहता है, बल्कि इसलिए है कि उनके पास ताकत है और हम में उनके विरोध की हिम्मत नहीं है। तमाम भक्ति-भाव के बाद भी भारत को मुक्त कर देने की भावना इश्वर ने अंग्रेज साम्राज्यवादियों को नहीं दी। सब कुछ भगवान है , मनुष्य कुछ भी नहीं- ये संस्कार मनुष्य के आत्म विश्वास को खत्म कर देते हैं।    

कोलकाता विश्वविद्यालय के अंतर्गत सुरेन्द्र नाथ सांध्य कॉलेज के छात्र दिनेश शर्मा ने कहा कि भगत सिंह ने कहा है कि विरोधियों द्वारा रखे गये तर्कों का सामना करने के लिए अध्यन करो, अपने मत के समर्थन में तर्क देने के लिए पढ़ो । हमारी समस्या यह है कि एक तो पढ़ने के लिए भगत सिंह पर पर्याप्त पुस्तकें नहीं है, दूसरे इन्हें पढ़ कर परीक्षा में पास नहीं हो सकते क्योंकि परीक्षा पास करने के हिसाब से यह पढाई का विषय ही नहीं है। मैंने जितना भी पढ़ा है, लगता है के भगत सिंह को लोगों तक पहुंचाने से पहले खुद तक पहुंचाना जरुरी है | प्रत्येक मनुष्य को विकास के लिए प्रचलित रुढियों-विश्वासों को तर्क की कसौटी पर कसना होगा| अंध विश्वास नहीं तर्क के बाद सिद्धांत अथवा दर्शन का विश्वास करना होगा ।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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