बसंतपुर की सभा में कांफिडेंट दिखे मांझी

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अरवल के बसंतपुर गांव में लोगों से रूबरू होते मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी
अरवल के बसंतपुर गांव में लोगों से रूबरू होते मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी

तेवरऑनलाईन, बसंतपुर

बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को कठपुतली मुख्यमंत्री कह कर “ओवर अंडरएस्टिमेट’’ करने वाले  लोग उनकी सभाओं में जुटने वाली भीड़ को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। बंसतपुर की सभा में मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का कांफिडेंस देखते ही बन रहा था। लोगों के साथ सहजता से संवाद स्थापित करते हुये उन्हें महागठबंधन के बैनर तले एकजुट होने के लिए ललकार रहे थे ताकि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में फिरकापरस्त शक्तियों को मुंहतोड़ जवाब दिया सके। महागठबंधन के लिए उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू यादव और जदयू नेता नीतीश कुमार को भी धन्यावाद देते हुये साफतौर पर कहा कि इन दूरदर्शी नेताओं के वजह से ही उपचुनाव में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है और अब जरूरत इस गठबंधन को और भी मजबूत करने की है। दलितों और पिछड़ों को जीतनराम मांझी तेजी से लामबंद कर रहे हैं। उनकी सहज शैली लोग उनकी ओर तेजी से आकर्षित भी हो रहे हैं।

अरवल जिला स्थित कुर्था के एक सुदूर गांव बसंतपुर में मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को सुनने के लिए बहुत बड़ी संख्या में ग्रामीण जुटे थे। इनमें महिलाओं संख्या भी बहुत अधिक थी। सभा के दौरान जब कुछ लोगों ने हंगामा काटने की कोशिश की तो मुख्यमंत्री मांझी ने थोड़ा कड़ा रूख अख्तियार करते हुये साफ तौर पर कहा कि यदि आपलोग यहां कुछ भी करेंगे तो उसका नगेटिव मैसेज जाएगा। मैं यहां जो काम करने आया हूं वो करने दिजीये। मांझी कांफिडेंट थे, भीड़ को नियंत्रित करने की कला वो अच्छी तरह से जानते थे। बसंतपुर गांव को एक आदर्श गांव बनाने के लिए उन्होंने एक के बाद एक कई घोषणाएं की। इस दौरान उन्होंने यह जोर देते हुये कहा कि आपलोगों के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हुये हैं। मैं हर हाल में इस क्षेत्र का विकास चाहता हूं।

मुख्यमंत्री मांझी के नेतृत्व में बिहार की राजनीति अतिपिछड़ों को मजबूती से लामबंद करने की दिशा में बढ़ रही है। मांझी भी तकरीबन 22 फीसदी अतिपिछड़ों को अपने साथ जोड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाये हुये हैं। बेबाक शब्दों में कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री मांझी महागठबंधन को संतुलित रखने मोड में रखने के लिए इससे जुड़े हर धड़े को साथ बखूबी साथ लेकर चलने की कोशिश कर रहे हैं ताकि बिहार की भावी राजनीति में एक नई लकीर खींच सके। एक नेता के तौर पर मुख्यमंत्री मांझी का कद दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। तभी तो लोग दबी जुबान से यहां तक कहने लगे हैं कि यदि महागठबंधन की राजनीति बिहार में सफल होती है तो एक बार फिर मुख्यमंत्री के ओहते पर जीतन राम मांझी ही बैठेंगे। हाल ही में बक्सर के जोगिया गांव में हुये कत्लेआम के सिलसिले में मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से राजद की ओर से मिलने गये एक प्रतिनिधिमंडल के एक अहम सदस्य ने कहा कि मांझी खुद से लोगों को जोड़ने की कला में माहिर हैं। किसी भी बात को वो बहुत ध्यान से सुनते हैं और उस पर त्वरित कार्रवाई भी करते हैं। जिस तेजी से वो संतुलित निर्णय लेते हैं वो चौंकाने वाला है। उनको एक कठपुतली या कमजोर नेता मानने की भूल विरोधी खेमों पर भारी पड़ सकती है। यहां तक कि जदयू के अंदर भी मांझी समर्थकों का एक बड़ा गुट खड़ा हो गया है। मांझी की मकबूलियत दिन प्रति बढ़ती ही जा रही है।

बिहार का सामाजिक ढांचा आज भी जातीय तानेबाने से चल रहा है। यहां की राजनीति पर भी इसका वर्चस्व है। समाज के एक वर्ग मांझी को उनकी जाति की वजह से नापसंद कर रहा है और यही नापसंदी मांझी के लिए ताकत साबित हो रही है। एक बड़ा तबका उनके इर्दगिर्द जमा हो रहा है। कहा जा सकता है कि वोट बैंक के लिहाज से मुख्यमंत्री मांझी सटीक दावं चल रहे हैं। राजद का एक धड़ा मुख्यमंत्री मांझी को काफी पसंद कर रहा है। बसंतपुर में मुख्यमंत्री मांझी को लाने का श्रेय राजद नेता मुंद्रिका सिंह यादव को जाता है। यहां के लोगों को एकजुट करके उन्होंने मुख्यमंत्री मांझी से कम्युनिकेट किया और मुख्यमंत्री सहजता से इस गांव में आने के लिए एक बार में ही तैयार हो गये। सभा स्थल लोगों से खचाखच भरा हुआ था। इस सभा में जुटी भीड़ इस बात की तस्दीक कर रही थी कि आने वाले समय में मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी राजनीतिक कद और भी बढ़ने वाला है।

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