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मिथिला चित्रकला का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल में विशेष स्थान : संजय कुमार झा

पटना।’मिथिला चित्रकला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल के करीब है। मिथिला की कला-संस्कृति के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर सौराठ (मधुबनी) में मिथिला चित्रकला संस्थान और मिथिला ललित कला संग्रहालय की स्थापना हुई है, जहां मिथिला के युवा अपनी कला-संस्कृति का औपचारिक प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं। इससे उन्हें कला के क्षेत्र में रोजगार हासिल करने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री आवास में जब भी बिहार से बाहर से कोई मेहमान आते हैं तो मुख्यमंत्री उनका स्वागत मिथिला पेंटिंग वाले अंगवस्त्र (शाल) से करते हैं।’ यह बात बिहार सरकार के जल संसाधन तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा ने शुक्रवार को सूचना भवन के संवाद कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में श्री राकेश कुमार झा द्वारा लिखित और मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग के अंशानुदान से प्रकाशित पुस्तक ‘मिथिला चित्रकला का सिद्धांत’ का विमोचन करते हुए कही।

संजय कुमार झा ने कहा कि मिथिला की आन-बान-शान को देश-दुनिया में बढ़ाने में जिस एक चीज का सर्वाधिक योगदान है, वह है मिथिला चित्रकला। मिथिला चित्रकला की दिग्गज हस्तियों ने 7 पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त कर बिहार का मस्तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कला जगत में ऊँचा किया है। यह मिथिला के समाज को पूर्वजों द्वारा सौंपी गई एक अनमोल विरासत है, जिसे आगे बढ़ाना और समृद्ध करना हम सब का दायित्व है। मिथिला चित्रकला का मिथिला की लोक संस्कृति, जीवन, दर्शन और कर्मकांड से क्या संबंध है, उसकी चर्चा ‘मिथिला चित्रकला का सिद्धांत’ पुस्तक में बहुत ही अच्छे तरीके से की गई है। यह पुस्तक मिथिला चित्रकला पर हो रहे बाजारू प्रयोग से इस कला की मौलिकता को बचाने की एक कोशिश भी नजर आती है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण पुस्तक के लिए लेखक राकेश कुमार झा को बधाई दी।

संजय कुमार झा ने कहा कि मिथिला की कला-संस्कृति के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर सौराठ (मधुबनी) में स्थापित मिथिला चित्रकला संस्थान और मिथिला ललित कला संग्रहालय को आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, पटना से जोड़ा गया है। मधुबनी पेंटिंग के कलाकारों के लिए किसी तरह की संस्था या प्रमाणपत्र की व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें प्रशिक्षण प्राप्त करने और पहचान मिलने में दिक्कत होती थी। मिथिला चित्रकला संस्थान की स्थापना से उनकी यह परेशानी दूर हो गई है। फरवरी 2018 में सीएम जापान यात्रा पर गये थे। उन्हें जानकारी मिली कि जापान में मिथिला म्यूजियम और स्टोर है। उन्होंने जापान स्थित भारतीय दूतावास के जरिये मिथिला म्यूजियम और स्टोर से जुड़े लोगों को बुलवा कर वहां उनसे मुलाकात की थी। जापान से लौटने के बाद उन्होंने इन संस्थानों की जल्द स्थापना करने का निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मई 2022 में दोनों संस्थानों का उद्घाटन किया था। यह प्राचीन एवं विश्वविख्यात मिथिला चित्रकला को संरक्षित करने तथा मिथिला की कला-संस्कृति के संवर्धन की दिशा में आजादी के सात दशक बाद पहली बड़ी एवं ऐतिहासिक पहल है।
संजय कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस साल जनवरी में मधुबनी जिले के झंझारपुर में NH 57 के किनारे नवनिर्मित ‘मिथिला हाट’ को जनता को समर्पित किया। दिल्ली हाट की तर्ज पर यह मिथिला के लिए एक ड्रीम प्रोजेक्ट है। मिथिला हाट में 50 आधुनिक दुकानों के साथ ही एक प्रशासनिक भवन, फूड कोर्ट, मल्टी परपस हॉल, ओपन एयर थिएटर, पार्किंग एरिया इत्यादि का निर्माण कराया गया है। जून 2023 के अंत तक यह पूरी तरह फंक्शनल हो जाएगा। मिथिला हाट में आकर लोग मिथिला की कला-संस्कृति, जैसे- मिथिला पेंटिंग, हस्तकला, सिक्की घास और खादी से निर्मित उत्पादों के अलावा स्थानीय व्यंजन इत्यादि से लोग रू-ब-रू हो सकेंगे। यहां कुछ अन्य राज्यों के उत्पादों एवं व्यंजन की बिक्री भी की जाएगी।
संजय कुमार झा ने कहा कि मिथिलावासियों की लोक आस्था के प्रमुख केंद्र सिमरिया धाम के विकास एवं सौंदर्यीकरण की जल संसाधन विभाग की योजना का जल्द कार्यारंभ होगा और अगले डेढ़ साल में सिमरिया धाम को हर की पौड़ी हरिद्वार से सुंदर विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। योजना के तहत सिमरिया में 550 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट के साथ-साथ श्रद्धालुओं के लिए हर तरह की जरूरी सुविधाओं का निर्माण कराया जाएगा।
इस मौके पर बिहार महिला उद्योग संघ की अध्यक्षा श्रीमती उषा झा ने कहा कि मिथिला चित्रकला ने बड़ी संख्या में महिलाओं को स्व-रोजगार से जोड़ा है और उनके काम को दुनियाभर में सराहा जा रहा है। कोई कला यदि वहां के लोगों को जीवन यापन में मदद करती है तो इससे बड़ी बात कुछ और नहीं हो सकती। ‘मिथिला चित्रकला का सिद्धांत’ पुस्तक इस कला की बारीकियों को समझने का एक बेहतर माध्यम बनेगी।
चेतना समिति के पूर्व अध्यक्ष विवेकानंद झा ने कहा कि मिथिला चित्रकला का लंबा इतिहास है। यदि कलाकार इसके सिद्धांत से अवगत रहेंगे, तो मिथिला चित्रकला की मौलिकता और लोकप्रियता लंबे समय तक बनी रहेगी। ‘मिथिला चित्रकला का सिद्धांत’ पुस्तक इस चित्रकला को लंबे समय तक प्रासंगिक बनाये रखने में मददगार साबित होगी।
इस मौके पर लेखक श्री राकेश कुमार झा ने कहा कि उन्होंने इस पुस्तक में मिथिला चित्रकला की प्रमाणिकता पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए, मौलिक प्रतीक चिह्नों की निरूपण विधि और इनके निरूपण के कारणों को विस्तार से लिखा हैl पुस्तक में मिथिला चित्रकला के तहत बनने मौलिक चित्रों का समावेश कर इस पुस्तक को एक स्किल बुक का रूप दिया हैl
कार्यक्रम का संचालन लेखक एवं पत्रकार श्री रविशंकर उपाध्याय ने किया। अंत में प्रख्यात कला समीक्षक विनोद अनुपम ने पटना के सुधि कला प्रेमियों एवं कला समीक्षकों को इस आयोजन में शामिल होने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में अनंताशुतोष द्विवेदी, रजनीकांत पाठक, प्रकाश चंद्र झा, सुमन सिंह, डीके श्रीवास्तव, पुष्यमित्र, अलका दास, कादंबिनी सिन्हा, रचना प्रियदर्शिनी, आकांक्षा झा, राहुल सिन्हा शंभू कुमार सिंह, किशोर केशव आदि सहित बड़ी संख्या में कलाप्रेमी मौजूद थे।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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