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मुंगेर में संतमत सत्संग का 48 व 49 वां वार्षिक अधिवेशन का हुआ समापन

Urलालमोहन महाराज, मुंगेर । मुंगेर के तो फिर पीर पहाड़ स्थित गंगा नदी के किनारे दो दिवसीय मुंगेर जिला राष्ट्रीय संतमत सत्संग का 48 व49 वां वार्षिक अधिवेशन का समापन हुआ। रविवार को मुख्य पूज्य पाद बाबा योगानंद महाराज जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सबका ईश्वर एक है। ईश्वर तक जाने का रास्ता भी एक है। उसकी प्राप्ति अपने अंदर होगी। इसके लिए सद्गुरु की निष्कपट सेवा, सत्संग, दृढ़ ध्यानाभ्यास पंच पाप झूठ, चोरी, नशा ,हिंसा, व्यभिचार का त्याग करना होगा। उन्होंने कहा कि भक्ति सारे सुखों की जड़ है। भक्ति मतलब सेवा, सेवा उस कर्म को कहते हैं, जिस कर्म से मनुष्य को सुख मिलता है। जैसे प्यासे व्यक्ति को पानी दिया जाय तो वह सेवा है। परमात्मा क्या चाहते हैं? परमात्मा के संबंध में कहा गया है कि एक अनि अरुप अनामा, अज सच्चिदानंद परमाना। अर्थात वह मात्र जीव को चाहते हैं, यानि हर आत्मा में परमात्मा का अंश होता है। उस अंश की सेवा करने से ही परमात्मा को संतुष्टि मिलती है। साथ ही संपूर्ण रूप से उनके (परमात्मा) के हो जाने पर ही ईश्वर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इस क्रम में अधिवेशन के संयोजक निर्मल बाबा ने भी अपने प्रवचन से उपस्थित हजारों की भीड़ को भक्ति के सागर में गोते लगाने को विवश किया। इस मौके पर अधिवेशन को सफल बनाने में अधिवेशन के अध्यक्ष सह अधिवक्ता अनिल कुमार यादव ,सचिव ओमप्रकाश यादव ,योगी यादव, नागेश्वर यादव, मय पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि विकास कुमार यादव सहित अन्य समाजसेवियों ने भरपूर योगदान देकर अधिवेशन को सफल बनाया।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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