लिटरेचर लव
मैंने देखा (कविता)
-नलिन,
भीड़ देखी,
और भीड़ मेँ तन्हा इन्सान देखा।
घर देखेँ,
और सुनसान मकान देखा।
बस्ती देखी,
और आबाद श्मशान देखा।
रिश्ते देखेँ,
रिश्तोँ का खालीपन देखा।
गैर देखेँ,
गैरोँ का अपनापन देखा।
दोस्त देखेँ,
उनका दीवानापन देखा।
प्रीत देखीं,
और उसमेँ पागलपन देखा।
प्रेमी देखेँ,
उनका बाँबरापन देखा।
जुदाई देखी,
और जीवन का सूनापन देखा।
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