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युद्ध को रोककर मनुष्य शांतिपूर्ण तरीके से जिए: कुलपति

छोटे-छोटे प्रयासों से भी बड़े काम किए जा सकते हैं -प्रणव

लालमोहन महाराज ,मुंगेर
मुंगेर के मंगल मूर्ति पैलेस में रविवार को विश्व शांति दिवस के अवसर पर राजा कर्ण मीर कासिम समिति के अध्यक्ष जफर अहमद के द्वारा विश्व शांति में भारत की सहभागिता विषय पर गोष्ठी तथा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया .इस अवसर पर कई महान विभूतियों को भी सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ संजय कुमार ने कहा कि आज विश्व में युद्ध के माध्यम से संसार के लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है .सारी प्रगति पर यह प्रश्न चिन्ह लग गया है कि हिंसा कि इस दौर में विश्व बड़े खतरे की ओर जा रहा है?इस दृष्टि से विश्व शांति की आवश्यकता पड़ गई है. यह दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि युद्ध को रोक कर मनुष्य शांतिपूर्ण तरीके से जिए .इसी से सुख और समृद्धि संभव है. उन्होंने आगे कहा कि भारत युद्ध तथा अशांति की विषम परिस्थिति में सदैव आगे रहा है. इसलिए आज दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ गई है. वर्तमान हालात को देखते हुए हिंदू और मुसलमानों को भी भारत में एकजुट होकर रहना चाहिए. जिससे इसकी शक्ति और बढे. वही कार्यक्रम में उपस्थित मुंगेर भाजपा विधायक प्रणव कुमार ने कहा कि संसार की विषम परिस्थिति को देखते हुए इस दिवस का महत्व बढ़ जाता है .विश्व शांति दिवस इस उदेश्य से मनाया जा रहा है ताकि युद्ध के बढ़ते हुए दायरे को रोका जा सके. उन्होंने एक उदाहरण दिया कि किसी शहर में आग लग गई थी तो बड़ी-बड़ी मशीन उसे बुझाने का प्रयास कर रही थी . लोगों ने देखा कि एक चिड़िया पास के तालाब में डुबकी लगाकर आग के ऊपर उड़ने लगी और अपने पंखों में लगे पानी को झाड़कर आग पर छिड़कने लगी .यह देख सभी पक्षियों ने व्यंग्य किया कि तुम्हारे पानी की कुछ बूंद से क्या आग बुझने वाली है .आग बुझा रही चिड़िया ने जवाब दिया कि जब इस शहर में आग बुझाने वालों का इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें मेरा भी नाम रहेगा .
अभिप्राय है कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी बड़े काम किए जा सकते हैं .इसके लिए एक जुटता की आवश्यकता है. वही कार्यक्रम के दौरान शायर प्रोफेसर डॉ जावेद अख्तर ,लेखक इरफान अहमद ,शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए मो शाहीन, उर्दू के शायर ज्योति कुमार सिंहा, लावारिस लाशों को दफन व कफ़न करने वाले शाश्वत संस्कार के अध्यक्ष अध्यक्ष संजय केसरी को अंग वस्त्र शॉल ओढ़ाकर व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया. वही इस अवसर पर कवि सम्मेलन में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार व जान माने कवि मधुसूदन आत्मीय, शिवनंदन सलिल ,राम बहादुर चौधरी, चंदन, एहतेशाम आलम ,रक्षा हाशमी ,विजय गुप्त सहित अन्य कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाई.

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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