ये कशमकश है जो राहुल के बयान में छलका…

0
21
दागी मंत्रियों पर लाए गए आर्डनेंस के खिलाफ राहुल के गुब्बार को हल्के में नहीं लेना चाहिए…इसलिए भी कि कांग्रेस इस देश की डेस्टिनी को प्रभावित करता है… लगातार सत्ता में रहने के कारण गवर्नेंस, शिक्षा, अर्थनीति, सामाजिक व्यवहार… पर ये दल अच्छा और बुरा दोनों तरह का असर डालता रहा है… ये महज किसी दल के अंदर का मामला नहीं है…लोगों के मानस में कांग्रेस रहती है इसलिए उस दल में क्या हो रहा है उससे इस देश को चिंतित होना चाहिए….  बिल को फार कर फेंक देने जैसे बयान दरअसल कांग्रेस की उस कशमकश का नतीजा है जो पार्टी में चल रहा है…  कांग्रेस में दो धारा है इस समय… एक राहुल की अगुवाई में जो कुछ बेहतर करने की दिशा में बढ़ना चाहता… दूसरा धरा उन नेताओं का है जो सब चलता है वाली पारंपरिक राजनीति (जिसमें साम, दाम, दंड, भेद से मोहब्बत है) के हिसाब से चलता है… ये धरा चलना तो चाहता है अपने तरीके से लेकिन नाम भुनाना चाहता है राहुल का… इन्हीं दो धरों की टकराहट का गुस्सा राहुल के उद्गार में झलका था उस दिन…राहुल जानते हैं कि ये पुराने खिलाड़ी किसी भी तरह सत्ता में बने रहना चाहते हैं और उन्हें नाटक के स्टेज पर रोल प्ले करने के लिए अक्सर पेश करते हैं…असल में -पक्ष भी हम और विपक्ष भी हम-  की नीति इतनी मारक है कि राहुल इससे बच नहीं पाते… इस नीति से राहुल के एंग्री यंग मैन की छवि में निखार आता है लिहाजा वे घाघ पार्टी नेताओं के कहे पर चल पड़ते हैं… पर उनका अंतर्मन इसके लिए तैयार नहीं होता रहता… बकौल राहुल उन्होंने अपने निज सपने को कुचला है पार्टी की खातिर… जानकार कहते हैं कि विदेशी महिला मित्र के साथ जीवन गुजारने की दशा में वे पीएम नहीं बन सकते… अपने इस सपने को किनारे कर वो राजनीति के रेस में आ गए हैं ऐसा लगता है… निज जीवन की इतनी बड़ी कीमत चुकाने के बाद इस देश की राजनीति में वो अपने लिए कुछ सकारात्मक लाइन लेना चाहते तो उसमें बाधा पार्टी के अंदर से ही आ रही है… जरा याद करें उस चर्चित प्रेस कंफरेंस को… राहुल ने अन्य राजनीतिक दलों का भी नाम लिया था और अपील भरे अंदाज में उन दलों को याद किया था… उन्हें संभव है राजीव के शुरूआती दिनों की याद न हो पर देश के समझदार लोगों को याद होगा… राजीव को – ए जेंटलमैन इन पॉलिटिक्स- कहा गया … लेकिन कुछ ही समय बाद घाघ पार्टी नेताओं ने उन्हें रास्ते से भटकाया… कुछ सालों बाद राजीव को समझ आया तब तक देर हो चुकी थी… राहुल देर न करें… कांग्रेस के मिजाज को बदलना चाहते तो लग जाएं… देश के युवाओं के गुस्से को देखते हुए – एंग्री यंग मैन- की छवि ओढ़ना बुरा नहीं….बदनाम कांग्रेस के शुद्धिकरण से यहां की राजनीति को फायदा होगा… तैयार नेता नरेंद्र मोदी को चुनोती देने के लिए राहुल को भी तैयार होना चाहिए… तभी ये देश अच्छी चुनावी प्रतिस्पर्धा देख सकेगा…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here