इमोशनल अत्याचार का शिकार हुआ था मनीषा की जान लेने वाला जवान

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कबड्डी खिलाड़ी मनीषा की हत्या एक जवान के प्रेम की सनक का नतीजा है या फिर ट्रायंग्ल लव स्टोरी का एक खौफनाक रिफ्लेक्शन ? जवान यसवंत के पास एके 47 था, जब उसने मनीषा को एप्रोच किया था, जैसा कि कहा जा रहा है। और उसने मनीषा से उसका फोन नंबर मांगा, मनीषा ने जब मना किया तो उसने उस पर गोलियां चलानी शुरु कर दी। महज फोन नंबर मांगने पर गोलियां चलाना, वो भी किसी प्रेमी द्वारा सुनने में थोड़ा असहज लगता है।

सीआपीएफ के 131 बटालियन के कमांडेंट बीके बत्रा कहते हैं कि जवान मनीषा को लेकर अपसेट था, क्योंकि उसे पता चला था कि मनीषा किसी आर्मी मैन से भी प्यार करती है। यानि मनीषा एक साथ दो जवानों से प्यार में कबड्डी खेल रही थी, दोनों को एक दूसरे के बारे में बताये बिना और यही खेल उसकी मौत का कारण बना। उसे पता नहीं था कि प्यार का साइट इफेक्ट मल्टीडाइमेंशनल होता है, और कभी-कभी घातक भी। सीआरपीएफ का जवान जसवंत सिंह हाईपर इमोशनल अत्याचार का शिकार हुआ और उसका पूरा रियेक्शन एक नार्मल जवान की तरह ही रहा, यानि बेवफा प्रेमिका को मार कर खुद भी मर जाओ, अब जीने में क्या रखा है।

मनीषा की हत्या से पटना थोड़ा शॉक्ड हुआ है। सीआरपीएफ कैंप के खिलाफ आवाज उठने लगी है। नगर में रहकर सीआरपीएफ के जवान नगरीय तौर तरीकों से प्रभावित होने लगे हैं और यह नगर के लिए खतरनाक है। पटना के मोईनुल हक स्टेडियम के अगल बगल के लोग सीआरपीएफ के कैंप से प्रभावित हैं, जवानों की निगाहें इधर उधर तो उड़ती ही हैं, साथ ही बोलकर भी चुस्की लेने से बाज नहीं आते हैं। वैसे भी पहरेदारों की जुबान पर पहरा बैठा पाना सिविलियन के लिए तो संभव नहीं ही है।

स्टेट मुखिया के तौर पर नीतीश कुमार ने भी चिंता जताते हुये कहा है कि जो कुछ भी हुआ वह गलत है। हालांकि यह एक व्यक्ति विशेष का काम है, इसे किसी संगठन विशेष से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिये लेकिन ऊंगली तो उठ ही जाती है। इस बीच कला एवं संस्कृति मंत्री रेणु देवी ने कहा है कि स्टेडियम से सीआरपीएफ के जवानों को जल्द ही हटाया जाएगा।

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