101 प्रखंड के 36 लाख की जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित, नीतीश कुमार जिलाधिकारियों से बात की
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बाढ़ प्रभावित 12 जिलों के जिलाधिकारियों के साथ बाढ़ से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने विस्तृत जानकारी देते हुये बताया कि आज की स्थिति में 12 जिले के 101 प्रखंड के 36 लाख की जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित है। उनके लिए बाढ़ राहत शिविर, सामुदायिक किचेन की व्यवस्था की गयी है और लोगों को राहत पहुंचायी जा रही है। उन्होंने बताया कि अब तक 60,000 बाढ़ से प्रभावित परिवारों के खाते में 6,000 रूपये की ग्रेच्युट्स रिलीफ की राशि अंतरित कर दी गयी है। कल तक और 40,000 लोगों के खाते में राशि अंतरित हो जायेगी। उन्होंने बताया कि 8-10 अगस्त तक सभी बाढ़ प्रभावित परिवारों के खाते में राशि अंतरित कर दी जाएगी।
दरभंगा, पूर्वी चम्पारण, गोपालगंज, सारण एवं समस्तीपुर के जिलाधिकारियों ने नदियों के जलस्तर की स्थिति, बाढ़ राहत शिविर, सामुदायिक किचेन, नावों की उपलब्धता, मेडिकल सुविधाएं, शौचालय एवं पेयजल की व्यवस्था, पशुचारे की उपलब्धता, पशु कैंप की व्यवस्था, फसल क्षति का आकलन आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी। जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस ने नदियों के जलस्तर की स्थिति तथा तटबंधों की सुरक्षा के संबंध में जानकारी दी।
मुख्यमत्री ने बाढ़ राहत शिविरों एवं सामुदायिक किचेन का डिजिटली अवलोकन किया। नीतीश कुमार ने दरभंगा जिले के केवटी प्रखंड के असरा पंचायत के खुर्शीद आलम, शकीला खातून, मुन्नी बेगम, हुशना बेगम, मदन कुमार मंडल तथा गोपालगंज जिले के रजोखर पंचायत में कलावती देवी, पूर्वी चम्पारण के अरेराज प्रखंड के पिपरा पंचायत के कन्हैया कुमार तथा सारण जिले के तरैया प्रखंड के पचभिंडा पंचायत के मोहम्मद सज्जाद से बाढ़ राहत शिविरों एवं सामुदायिक किचेन में उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। राहत शिविर में रह रहे लोगों ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि खाने की उचित व्यवस्था के साथ-साथ अन्य सुविधाएँ भी मिल रही है, किसी प्रकार की कोई दिक्कत नही है। साथ ही 6 हजार रूपये की ग्रेच्युट्स रिलीफ की राशि मिलने से काफी राहत हुई है।
नीतीश कुमार ने कहा कि पर्यावरण की विचित्र स्थिति के कारण एक तरफ बाढ़ तो दूसरी तरफ कोरोना के संकट से निपटने के लिए हर तरह से तैयार होकर चलना पड़ेगा। उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि बाढ़ प्रभावित परिवारों का ठीक से आंकलन कराकर ग्रेच्युट्स रिलीफ की राशि जल्द से जल्द उनके खाते में अंतरित की जाय। उन्होंने कहा कि पहले से तय एसओपी के अनुसार सभी प्रकार की राहत बाढ़ प्रभावित लोगों को उपलब्ध करायी जाय।
नीतीश कुमार ने कहा कि सामुदायिक किचेन में भोजन की उत्तम व्यवस्था बनाये रखें एवं राहत शिविरों में पेयजल, शौचालय की समुचित व्यवस्था की जाय। मास्क का निःशुल्क वितरण एवं सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिये लोगों को प्रेरित किया जाय।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ राहत शिविरों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है। राहत शिविरों में आने वाले लोगों का एंटीजन टेस्ट अवश्य करायें। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एंटीजन किट्स आपूर्ति की संख्या बढ़ायें। लोगों की हिफाजत तथा उनकी सेवा के लिए हर क्षण तैयार रहें, उनसे फीडबैक लेते रहें। अगस्त एवं सितम्बर माह में भी संभावित बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह मुश्तैद रहें। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में कोसी त्रासदी के दौरान 10,000 लोगों के लिए सहरसा में मेगा रिलीफ कैंप बनाया गया था, जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हुयी थी। जरूरत के अनुसार राहत शिविरों की संख्या बढ़ाते रहें।
इसके पूर्व वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सुझाव दिया कि सहायता वितरण के लिये अनुश्रवण समिति की बैठक होनी चाहिये ताकि लोगों का फीडबैक मिल सके। राहत कैम्पों में मुखिया के साथ-साथ अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी शामिल रखें। जल संसाधन मंत्री संजय झा, आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय भी वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे।
बैठक में मुख्य सचिव दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह भी उपस्थित थे।