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Saturday, May 4, 2024
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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

महिलाओं का ‘राइट टू रिजेक्ट’

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अशोक मिश्र रविवार को सुबह थोड़ी देर से उठा। उठते ही घरैतिन के सुलोचनी चेहरे के दर्शन नहीं हुए, तो मैंने अपनी बेटी से पूछा,...

‘लातयोग’ की आशंका

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अशोक मिश्र उस्ताद गुनहगार के घर पहुंचा, तो देखा कि ज्योतिषाचार्य मुसद्दीलाल मेज पर अपना पोथी-पत्रा बिछाए गंभीर चिंतन में डूबे हुए हैं। मुझे देखकर...

उत्तर प्रदेश दूरदर्शन पर नया धारावाहिक जज्बात

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Raju Vohra, New delhi. निजी प्राइवेट चैनल्स के इस दौर में भी दूरदर्शन के धारावाहिकों का महत्तव कम नहीं हुआ है इसकी एक मुख्य वजह...

क्या गुल खिलाएंगे आडवाणी

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संजय राय. अगले साल देष में होने वाले सोलहवें लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा ने अपने बुजुर्ग नेता लालकृश्ण आडवाणी के विरोध को रद्दी की...

खबरदार! जो संत कहा…

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अशोक मिश्र मेरे एक सीनियर हैं। नाम है..अरे नाम में क्या रखा है? आप लोग किसी बात को व्यंजना या लक्षणा में नहीं समझ सकते...