41 C
Patna
Thursday, April 25, 2024
Home Authors Posts by editor

editor

1515 POSTS 13 COMMENTS
सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

मुलायम की चिंता और भ्रष्ट नौकरशाही

0
अनुराग मिश्र // पिछले कुछ दिनों से राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की तल्ख़ टिप्पणी लगातार सुनने को मिल रही है। ...

आज मैंने एक सपना देखा …(कविता)

0
आज ठंडी रात में मैंने एक सपना देखा तुम मेरे पहलू में लेटी हो और मुझे जगा रही हो कह रही हो की कुछ मजबूरियां तुम्हारी भी है और मेरी...

आम आदमी की पार्टी —— में आम आदमी कहां ? उसके...

0
सुनील दत्ता // एक सवाल श्री अरविन्द केजरीवाल से ? { इन हालातों में कोई भी भ्रष्टाचार विरोधी तथा आम आदमी के लिए जनतांत्रिक राष्ट्रीय नीति...

क्या अखिलेश सरकार कभी ईमानदार अधिकारियों को भी प्रोन्नति देगी !

0
अनुराग मिश्र // पिछले कुछ दिनों से सत्ता के केंद्र मुख्यमंत्री कार्यालय में हलचल काफी तेज है। सूचना आ रही है कि राज्य की अखिलेश सरकार...

कहीं पाक के पीछे चीन तो नहीं ?

0
अक्षय नेमा मेख // यह जग जाहिर है कि पाकिस्तान का चीन से गहरा संबंध है। कुछ दिनों पूर्व एक समाचार पत्र में यह खबर...

महिला सुरक्षा में सतर्कता के मायने

1
धर्मवीर कुमार// दिल्ली के चर्चित दुर्भाग्यपूर्ण सामुहिक बलात्कार कांड के बाद महिलाओं की सामाजिक स्थिति, उनकी सुरक्षा , उनके प्रति पुरुषों का नजरिया आदि मुद्दे एक...

अम्बेडकर : “शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो !!!”.

0
सतीश आर्या// 1948 से, अम्बेडकर मधुमेह से पीड़ित थे। जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो नैदानिक अवसाद और कमजोर...

ता उम्र ढूढती रही अपनी मोहब्बत का मकां मीना कुमारी

0
सुनील दत्ता// काश ! मीना जी एक औरत होती सिर्फ औरत | तो मुमकिन था कि मेरी कलम में सरगोशी न होती | वे तो विशाल...

इक अनहोनी घट गयी (कविता)

1
भरत तिवारी// इक अनहोनी घट गयी के सारा आलम सोते से जाग गया अबला का शारीरिक शोषण टी.वी. ने दिखाया . और तब !!! सब को पता चला कि अभद्रता...

हुई मुद्दत कि गालिब मर गया…

0
शिव दास// हुई मुद्दत कि गालिब मर गया पर याद आती है वो हर इक बात कि यूं होता तो क्या होता? शब्दों के रूप में कुछ ऐसे...