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Friday, March 29, 2024
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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

“रजनी की लग गयी” में नजर आएंगी खुशी शर्मा

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राजू बोहरा, नई दिल्ली खुशी शर्मा ने अपने चार साल के फिल्मी कैरियर में अपनी एक अच्छी पहचान बना ली है। कई टी.वी.धारावाहिकों मे काम...

गाँधी जी की विचारधारा पर धारावाहिक “एक किरण रोशनी की”

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राजू बोहरा, नई दिल्ली आज के इस आधुनिक युग में भी फिल्में और धारावाहिक लोगों के मनोरंजन का सबसे सशक्त माध्यम है। इसीलिए फिल्मों और...

नये रंगभाषा की तालाश में दलित-आदिवासी रंगमंच

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रांची से लौटकर अनन्त, देश के दलित व आदिवासी समाज के रंगकर्मी  अब नये रंगभाषा की तालाश में जुट गये हैं। दरअसल इस समाज को...

माहौल का असर बच्चों पर पड़ता ही है-राजीव वर्मा

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राजू बोहरा, नई दिल्ली छोटे पर्दे के सबसे लोकप्रिय चरित्र कलाकारों यानी पिता की भूमिकाएं निभाने वाले अभिनेताओं में एक नाम राजीव वर्मा का सबसे...

मैं उसका हो नहीं पाया(कविता)

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                                       - धर्मवीर कुमार, बरौनी, मुहब्बत की तो थी मैंने, निभाना ही नहीं आया. वो जब तक थी, रही मेरी, मैं उसका हो नहीं पाया. भला मांझी...

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन.एस.डी.) में बिहार के प्रथम छात्र प्यारे मोहन...

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- रविराज पटेल, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन.एस.डी.) दिल्ली की स्थापना सन 1959 ई. में संस्कृति मंत्रालय ,भारत सरकार के स्वायत्त संस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा...

लाली-लाली डोलिया में लाली रे दुलहनियां

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अनन्त, रेणु प्रेम के लेखक हैं तो उनकी तीसरी पत्नी लतिका जीवंत प्रेम की मिशाल। प्रेम की नयी ईबारत लिखने वाले कथाकार के जीवन की...

अच्छा लगता है….(कविता)

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नलिन तेरे संग दो पल बिताना अच्छा लगता है, अब तो तन्हाई मेँ भी गुनगुनाना अच्छा लगता है। यूँ तो, नीँद नहीँ आती है आजकल रातभर, पर कभी...

पूरब व पश्चिम की संस्कृति को दर्शाता है धारावाहिक इम्तिहान

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राजू बोहरा, नई दिल्ली प्राइवेट चैनल्स के इस धारावाहिक दौर में भी भारतीय टेलीविजन के दर्शको के लिए चैनल साफ सुथरे धारावाहिक प्रस्तुत कर रहा...

Casteism today does not help society advance spiritually

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Dr. M Faiyazuddin The origins of the caste system in India and Nepal are shrouded, but it seems to have originated some two thousand years...