ram mandir modi : प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने रामलला से मांगी माफी
डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। ram mandir modi :
वह दिन आ गया, जिसका वर्षो से इंतजार था। अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो गई। पूरी दुनिया इसकी साक्षी बनी।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन दिया। संबोधन के दौरान वह भावुक हो गए। पूरी दुनिया को इस बात का मलाल था कि राममंदिर के निर्माण के लिए इतना इंतजार करना पड़ा।
अंत में न्यायालय के माध्यम से राममंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरूआत सियावर राम चंद्र की जय से की। उन्होंने श्रीराम से माफी मांगी।
हमारी कई पीढ़ियों ने वियोग सहा
ram mandir modi : पीएम ने कहा कि हमारी कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। मैं आज प्रभु श्री राम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक यह कार्य कर नहीं पाए। आज वह कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि प्रभु श्री राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे।
अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि राम लला अब भव्य मंदिर में रहेंगे। आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है। आज हमें राम का मंदिर मिला है।
मेरा पक्का विश्वास है कि जो घटित हुआ है उसकी अनुभूति देश और दुनिया के कोने-कोने में रामभक्तों को हो रही होगी। यह क्षण अलौकिक है। इस शुभ घड़ी की आप सभी और समस्त देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई।
मैं अभी गर्भगृह में ऐश्वर्य चेतना का साक्षी बनकर आप सबके सामने उपस्थित हुआ हूं। कितना कुछ कहने को है, लेकिन कंठ अवरुद्ध है।
इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी: योगी
प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राम जन्मभूमि शायद दुनिया में पहला ऐसा अनूठा मामला है, जिसमें किसी राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने आराध्य की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने साल और इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी हो।
अब कोई बाधा नहीं बन पाएगा
ram mandir modi : योगी ने कहा कि अब कोई अयोध्या की परिक्रमा में कोई बाधा नहीं बन पाएगा। अयोध्या की गलियों में गोलियां नहीं चलेंगी। कर्फ्यू नहीं लगेगा। अब दीपोत्सव होगा। रामोत्सव होगा, क्योंकि अयोध्या में रामलला का विराजना राम राज्य की स्थापना की उद्घोषणा भी है।
उन्होंने कहा कि आज इस बात से आत्मा प्रफुल्लित है कि मंदिर वहीं बना है जहां बनाने का संकल्प लिया था।