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twitter_war : मियां की जूती मियां के सिर, तेजस्वी के “चर्चे-पर्चे ” पोस्ट पर “बिहार विद नीतीश” का जबरदस्त काऊंटर अटैक

पटना। बिहार में आरजेडी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थकों के बीच जारी ट्वीटर जंग दिन प्रतिदिन और  तीखी होती जा रही है। आरजेडी के साइबर वॉरियर्स कानून और व्यवस्था के सवाल पर लगातर मुख्यमंत्री नतीश कुमार पर हमलावार हैं। इसी सिलसिले में आरजेडी के साइबर कैंप की तरफ से तेजस्वी यादव के ट्वीटर एकाउंट से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुये द न्यूयार्क टाइम्स में छपी एक खबर  को ट्वीट किया गया जिसमें बिहार पुलिस का जिक्र करते हुए लिखा गया है प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों को सरकारी नौकरियों से दूर रखा जाएगा। ट्वीटर पर इस पोस्ट के  बाद नीतीश समर्थक साइबर वॉरियर्स ने बिहार विद नीतिश के ट्वीटर हैंडल से  मुंह तोड़ जवाब देते लालू यादव के उन  कारनामों को पोस्ट कर दिया जो कभी द न्यूयार्क टाइम्स https://bit.ly/3ayix0Q की सुर्खियां बनी थी।

द न्यूयार्क टाइम्स में छपी खबर को शेयर करते हुये  तेजस्वी यादव ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर लिखा कि गांधीवाद की दिखावटी बात करने वाले जेपी आंदोलन से निकले कथित नेता की तानाशाही के चर्चे और पर्चे अब विदेशों में छप रहे है। सोशल मीडिया पर लिखने से जेल,धरना-प्रदर्शन करने पर नौकरी से वंचित करने के तुगलकी फरमान सुनाए जा रहे है। लोकतंत्र की जननी बिहार को एनडीए सरकार अपमानित कर रही है।

इसके तुरंत बाद बिहार विद नीतीश ने जवाब देते हुये लिखा कि जंगलराज के युवराज जी झूठ फैलाना कब बंद करेंगे? बिहार पुलिस ने प्रदर्शन नहीं, उसमें हिंसा और अपराध रोकने की मंशा जाहिर की है। विदेशों में बिहार के चर्चे-पर्चे आज छपना शुरू नहीं हुए हैं। द न्यूयार्क टाइम्स में  ही 2013 में छपी खबर संलग्न है। किसी सलाहकार से पढ़वा लें। बहरहाल ट्वीटर पर जारी इस जंग का नेटिजन जमकर लुत्फ उठा रहे हैं तरह- तरह के रोचक कॉमेंट्स के साथ  रिट्वीट भी कर रहे हैं।  

 

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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