अहंकार में डूबे हैं बीजेपी नेता : संजय सिंह
तेवरऑनलाईन, पटना
जेडीयू प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि बिहार के प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह “दिनकर” ने एक कविता लिखी थी कृष्ण की चेतावनी, जिसमें कृष्ण ने दुर्येधन को चेताया था और कहा था
‘दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशिष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
इन दिनों बीजेपी के नेताओं के सर पर नाश छाया हुआ है अहंकार में ये इतने डूबे हैं कि इन्हें दिन रात का कुछ ज्ञान ही नही है। कहते है कि बीजेपी संस्कारों वाली पार्टी है लेकिन ये इतिहास से भी कुछ नही सिखते है। इतिहास गवाह है कि जब जब ज्ञानियों पर प्रहार हुए है तब तब उस साम्राज्य का अंत हुआ है । आज के ज्ञानी यहा के अधिकारी है वो कही से यूं ही नही आये है उन्होने ज्ञान हासिल किया है तब जा कर देश ,राज्य,समाज और जनता के लिए नीतियां बनाते है। आज बीजेपी के नेता इन पर हमला करते है ये उनके तुच्छ राजनीति की परिचायक है।जब जब किसी राजनेता या राजनैतिक दल ने अधिकारियों पर प्रहार किया तब तब जनता ने उन्हे सबक सिखाने का काम किया है ये बताने कि जरुरत नही है किसने ,कब और कैसे अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात की थी और आज उनका राजनैतिक अस्तित्व क्या है। ये उनके इस अहंकार को भी दर्शाता है कि केंद्र में बीजेपी की सरकार है और वो किसी तरह से अधिकारियों को प्रताडित करवा सकते है।
भारत के संविधान में ये प्रावधान है कि कोई भी कही भी किसी से मिल सकता है नीतीश कुमार दिन रात बिहार के विकास के बारे सोचते है तो वो अधिकारियों के साथ विचार – विमर्श करते है लेकिन ये बात बीजेपी के नेताओ और सुशील मोदी को समझ नही आएगी क्योंकि इन्हे तो दिन रात राजनीत ही सुझती है , इन्हे किसने रोका है कि ये किसी अधिकारी से नही मिल सकते है ये विकास की बात नही कर सकते है ये उनकी सहायता नही ले सकते है। सुशील मोदी तो उन अधिकारियों का धडेल्ले से उपयोग करते है जनता दरबार में बैठ कर अधिकरियों को आदेश देने तो अच्छा लगता है उन्ही अधिकारियों से जब नीतीश कुमार मिलते है तो इनके दिल पर सांप लोटने लगता है। वैसे भी सुशील मोदी को आज कल एक बिमारी ने बुरी तरह से जकडा हुआ है ये somnambulism नामक बिमारी के शिकार हो गये है इसका लक्षण नींद में चलने की होती है और जब से सुशील मोदी सत्ता की कुर्सी से हटे तब से नींद में भी ये सचिवालय की सिढियों चढते और मुख्यमंत्री के कक्ष के तरफ जाते रहते है लेकिन उनका ये सपना कभी पुरा नही होगा..सुशील मोदी को ये तय करना चाहीए कि आखिर वो कहना क्या चाहते है और करना क्या चाहते है। मोदी पुरी तरह से कंफ्यूज हो गये हैं। उन्हें आजकल कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है कि वो सरकार को कैसे घेरे । मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को जब ये पता चला तो उन्होंने खुद अपने दामाद से इस्तीफा ले लिया। और रही बात नीतीश कुमार कि तो वो कभी इस तरह की छोटी सोच नहीं रखते । ये सुशील मोदी को सोचना चाहीए की उनकी उनके दल में क्या औकात है। पहले अपने दल के नेताओं को एक जुट करे फिर जेडीयू से लड़ने की सोचे, पहले सुशील मोदी राजनीति के दावं-पेंच तो ढंग से सीख जाए तब जाकर चुनाव लड़ने की सोचे।