लिटरेचर लव

ऐ वीरों मातृभूमि की रक्षा करने आगे बढ़ो

दुश्मन ललकार रहा है वीरों आगे बढ़ो
भारत की लाज बचाने आओ साथियों
आया है वक्त मर मिटने को साथियों
शेर हो भारत के जवानों आगे बढ़ो
ऐ वीरों मातृभूमि …………………………….

मातृभूमि का कर्ज है साथियों तुम पर
मांग रही है वतन जवानों अब कुर्बानी
सीने को ढाल बनाकर दुश्मनों पर बरस जाना
आओ लिख दें हम बलिदानों का इतिहास
ऐ साथियों हो अमर बलिदानी आगे बढ़ो
ऐ वीरों मातृभूमि ………………………………..

निशाने हिन्द तिरंगे को हिमालय पर फहराकर
भारत भाल पर वीरों विजयी तिलक लगाना
जंग फतह का लाल किला पर साथी जश्न मानना
शुर वीर हो विजयी वीरता का गीत सुनाना
भारत पर आंच न आये जवानों आगे बढ़ो
ऐ वीरों मातृभूमि ……………………………………

/गीतकार ,कवि शिव रंजन सिंह /२८.०१.२०१३

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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