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कहीं अन्ना हजारे सेफ्टी वल्ब न बन जाये

मीडिया में अन्ना हजारे के मूवमेंट को लेकर हाईक की स्थिति बनी हुई है। चैनलों के कई-कई कैमरे इसे लगातार कैद करने की होड़ में अभियान के तहत जुड़ गये हैं। पूरा मामला पब्लिक इंटरेस्ट का बन गया है। ताबड़तोड़ बयानों और समर्थनों की हवा समाज के हरेक हलकों में हैं। फिल्मी हलके से आमिर खान और अनुपम खेर समेत गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खुला समर्थन मिलने से इसमें ग्लैमर और कुटनीति के रस भी आ गये हैं। शरद पवार के बैकफुट पर आने के बाद अन्ना हजारे की चमक में भी थोड़ी और निखार आई है और थोड़ा उत्साह भी बढ़ा है, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पाक साफ करने की हद तक। बाहर और अंदर खाते भी कुटनीति तेज हुई है, अन्ना हजारे को मिला जन समर्थन चकाचौंध करने वाला है। सवाल है अब सरकार अन्ना हजारे पर क्या रणनीति अपनाएगी? बार बार गांधी के हथियार का हवाला दिया जा रहा है, और अन्ना हजारे इस हथियार को विगत में भी कई बार चमका चुके हैं। लोग भ्रष्टचार पर बौखलाये हुये हैं, कहीं अना हजारे सेफ्टी वल्ब न बन जाये। भारत में गांधी जी के आंदोलनों का यही हश्र हुआ है, हुकुमते ब्रिटेनिया द्वारा।   

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